SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धम्मपद का पुनर्जन्म कोई अपने बच्चों को ले आते हैं। किसी बच्चे का विकास नहीं हुआ ठीक से, रिटार्टेड है । हो तो गया पंद्रह साल का, लेकिन मानसिक-उम्र तीन-चार साल से ज्यादा नहीं है। कहते हैं: संन्यास दे दीजिए इसको ! क्यों ? कि शायद आपके आशीर्वाद से ठीक हो जाए ! जो सज्जन अपने बेटे को संन्यास दिलाने आए थे, मैंने कहा: आपका क्या इरादा है? उन्होंने अभी संन्यास लिया नहीं ! बोले कि मैं सोचूंगा। अभी और बहुत झंझटें हैं। बच्चे को संन्यास दिलाने लाए हैं; खुद संन्यास लेने की हिम्मत नहीं है! संन्यास कुछ प्रयोजन भी नहीं है । संन्यास की समझ भी नहीं है । संन्यास को कोई औषधि समझ रहे हैं, कोई चिकित्सा समझ रहे हैं — कि यह बच्चा ठीक हो जाएगा। तब तो संबंध बनेगा ही नहीं । लेकिन ये तो संसारिक बातें हुईं। अगर आध्यात्मिक आकांक्षा से भी संन्यास लेते हो, तो भी बात नहीं बनती। जैसे कोई कहता है : मानसिक शांति चाहिए ! जब कोई कहता है कि नौकरी चाहिए, तब तो किसी को भी समझ में आ जाएगा - बात गलत है। लेकिन जब कोई कहता है : मानसिक शांति चाहिए, तो तुम न कहोगे कि बात गलत है। मैं तुमसे कहना चाहता हूं, तब भी बात गलत है। संन्यास से कुछ भी चाहिए, तो बात गलत है। जहां चाह है, वहां संसार है, संन्यास कहां! संन्यास तो अकारण होना चाहिए, अहेतुक होना चाहिए। आनंद से फलित होना चाहिए। मौज से निकलना चाहिए। अपना लक्ष्य अपने में होना चाहिए। कुछ भी चाहते हो, तो अड़चन होगी। मानसिक शांति चाहिए ! मानसिक अशांति क्यों है? क्योंकि बहुत चाहें हैं जिंदगी में; उन चाहों ने मन को उद्वेलित कर दिया है। उन चाहों के कारण तनाव है। तनाव के कारण अशांति है। अब यह एक और नयी चाह बढ़ा रहे हो ! और अशांत हो जाओगे । अब मानसिक शांति चाहिए ! और ध्यान रखना ः धन मिलना आसान है; मानसिक शांति मिलनी इतनी आसान नहीं। क्योंकि धन तो बड़ी क्षुद्र बात है । खोजते रहो, मिल ही जाएगा। कानूनी ढंग से न मिले, तो गैर-कानूनी ढंग से खोज लेना; मिल जाएगा। कोई उपाय कर लेना; चुनाव लड़ लेना । जो पास में हो, वह लगा देना; फिर कई गुना मिल जाएगा। धन तो पाया जा सकता है; लेकिन मानसिक शांति ? मानसिक शांति कोई वस्तु तो नहीं कि तुम मुट्ठी बांध लोगे उस पर ! मानसिक शांति कोई ऐसी चीज तो नहीं कि कहीं बिकती है; खरीद लोगे । मानसिक शांति कोई ऐसी चीज तो नहीं कि अभ्यास करने से मिल जाएगी। मानसिक शांति तो मिलती है समझ से । इसलिए बुद्ध ने कहा : प्रज्ञा से ... । जब तुम समझोगे कि अशांति के कारण क्या हैं, उसी समझ में अशांति के कारण समाप्त हो जाएंगे। जो शेष रह जाएगा, वह 59
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy