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धम्मपद का पुनर्जन्म
पाप करेंगे, वे नर्क में अनंत काल तक सड़ेंगे। अनंत काल तक! यह बात जरा तर्कनिष्ठ नहीं मालूम होती। पाप कितना किया है, उस हिसाब से सड़ना चाहिए। नर्क में सड़ाओ-चलो, ठीक। मगर कुछ हिसाब तो हो!
एक आदमी ने किसी की हत्या की; वह भी नर्क में सड़ेगा अनंतकाल तक। और एक आदमी ने दो पैसे चुराए, वह भी नर्क में सड़ेगा अनंतकाल तक। तो यह तो अन्याय हो गया। यह तो बड़ी अंधेर-नगरी हो गयी। टका सेर भाजी, टका सेर खाजा हो गया। कुछ हिसाब तो हो!
रसल ने खुद कहा है कि मैंने अपनी जिंदगी में जितने पाप किए, नहीं किए नहीं कहता: जितने पाप किए, कठोर से कठोर न्यायाधीश भी मझे चार साल से ज्यादा की सजा नहीं दे सकता। और अगर वे पाप भी जोड़ लिए जाएं, जो मैंने किए नहीं, सिर्फ सोचे-करना चाहता था, मगर किए नहीं तो आठ साल की सजा हो सकती है। कठोर से कठोर व्यक्ति! लेकिन अनंतकाल तक नर्क में सड़ना होगा? आगों में जलाया जाऊंगा; भूखा रखा जाऊंगा; प्यासा रखा जाऊंगा, अनंत काल तक? तो यह तो मेरे पापों से भी बड़ा पाप हो गया परमात्मा के नाम पर!
तब तो इसका मतलब यह हुआ कि परमात्मा सड़ाने में रस ले रहा है! किसी तरह का दूसरों को दुख देने में मजा लेने वाला है; शैतान है। जरा सा बहाना मिला कि अनंतकाल तक सड़ा दोगे! और मजा यह है कि तुम्हीं ने वासनाएं दी, तुम्हीं ने यह प्रकृति पैदा की, जो मुझे पाप में ले गयी, और तुम्ही फिर सजा देने आ गए! और सजा भी बेबूझ।
बर्टेड रसल ने एक किताब लिखी है : व्हाय आई एम नाट ए क्रिश्चियन-मैं ईसाई क्यों नहीं हूं?—उसमें सारे तर्क दिए हैं कि इन-इन कारणों से मैं ईसाई नहीं हूं। उसमें एक तर्क यह भी है कि ईसाइयत अन्यायपूर्ण है। __ लेकिन मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि जीसस के वचन का अर्थ मनोवैज्ञानिक है। रसल चूक गए; अर्थ को समझे नहीं। तर्क को पकड़ लिया, लेकिन अर्थ से चूक ग़ए। जीसस के वचन का यह अर्थ है कि नर्क का दुख इतना सघन है कि एक क्षण भी अनंत मालूम होगा। एक क्षण के लिए भी नर्क में फेंके गए, तो ऐसा लगेगा कि सदा के लिए। यह दुख इतना सघन है कि इस दुख की सघनता के कारण समय अनंत मालूम होगा।
दूसरी तरफ से समझो। तुमने सदा तुम्हारे तथाकथित साधु-संन्यासियों को कहते सुना है, सुख क्षणभंगुर है। इसका मतलब यह नहीं कि सुख क्षणभर ही रुकता है। गलत बात है। सुख कभी-कभी काफी देर रुकता है। लेकिन सुख सदा क्षणभंगुर मालूम होता है, यह बात सच है। क्योंकि सुख के समय में समय छोटा हो जाता है। मेरी बात समझे!
यह हो सकता है कि सुख काफी देर रुके; क्षणभंगुर होना जरूरी नहीं है। तुम