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एस धम्मो सनंतनो
से गिरी । और कैसी गिरी कि सुअर की बेटी हुई ! किस बुरी तरह खोया ! मूर्च्छा गिराती है, क्योंकि मूर्च्छा शत्रुओं को निमंत्रण है । और होश पहुंचाता है, क्योंकि होश के साथ वही बचता है, जो शुभ है।
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होश में जो हो, वही पुण्य; बेहोशी में जो हो, वही पाप । इसे तुम कसौटी
मानना ।
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आज इतना ही ।