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________________ मंजिल है स्वयं में निकालो। रेत में नहीं है, तो रेत की कोई गलती नहीं है। तुम रेत से निकाल रहे हो, यह तुम्हारी गलती है। एक आदमी दीवाल से निकलने की कोशिश करता है और नहीं निकल पाता, तो कहता है : आत्मघात कर लूंगा; क्योंकि दीवाल में कोई दरवाजा नहीं है। मगर दरवाजा भी है। तुम दीवाल से निकलने की कोशिश कर रहे हो, यह तुम्हारी भूल है। दीवाल दरवाजा नहीं है। मगर दरवाजा नहीं है, ऐसा तो तुम तभी कहना, जब तुम जीवन के सब आयाम खोज लो और दरवाजा न पाओ। जिन्होंने भीतर की दिशा में थोड़े भी कदम उठाए, उन्हें दरवाजा मिला। सदा मिला। नहीं तो महावीर-बुद्ध, कृष्ण-क्राइस्ट, मोहम्मद-जरथुस्त्र-इन सबने आत्मघात कर लिया होता। इन्होंने आत्मघात नहीं किया। इन्होंने रूपांतरण किया, आत्म-रूपांतरण किया। अपने को बदल लिया। एक नए जीवन का सूत्रपात हुआ। जो महिमापूर्ण था, दिव्य था, भव्य था। एक नया संगीत इनके भीतर उठा। इनकी वीणा बजी। इनके फूल खिले। इनके जीवन में उत्सव आया। तुम्हारे जीवन में उदासी है, मुझे मालूम है। मगर तुम्हारे कारण है। और तुम अगर मर भी जाओ, जैसे तुम अभी हो, तो फिर ऐसे के ऐसे पैदा हो जाओगे। इससे कुछ लाभ नहीं होगा। ऐसे तो तुम कई बार मर चुके हो। हो सकता है, पहले भी आत्मघात करते रहे हो; शायद इसीलिए खयाल आता है! पुरानी आदत हो; लत लग गयी हो! फिर उस तरह कर लोगे, इससे कुछ भी नहीं होगा। अब इस बार जीवन का ठीक-ठीक, सम्यक उपयोग कर लो। इस जीवन में बड़ा सौंदर्य छिपा है, मगर खोजने वाला चाहिए। इस जीवन में बड़ी संपदा है; ऐसी संपदा, जो कभी नहीं चुकती; सनातन संपदा है। मगर ठीक दिशा में खुदाई करनी चाहिए। __ और कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि दिशा गलत होती है। और कभी-कभी ऐसा भी होता है : दिशा भी ठीक होती है, तो तुम खोदते नहीं। मैंने सुना है : अमरीका में ऐसा हआ। कोलेरेडो में जब पहली दफा सोने की खदानें मिलीं, तो सारी दुनिया कोलेरेडो की तरफ भागने लगी; सारा अमरीका कोलेरेडो की तरफ भागने लगा। सोना जगह-जगह था। खेतों में पड़ा था। जहां खोदो, वहां मिल रहा था। जो गया, वही धनपति हो गया। ___एक आदमी के पास काफी संपत्ति थी; कोई एक करोड़ रुपया था। उसने सब संपत्ति बेचकर...। उसने सोचाः छोटा-मोटा काम क्या करना। सब संपत्ति बेचकर एक पूरा पहाड़ खरीद लिया। इसी आशा में कि अब तो धन ही धन हो जाएगा। लेकिन संयोग की बात, पहाड़ बिलकुल सोने से खाली था। बड़ी खुदाई की। यहां खोदा, वहां खोदा। थकने लगा; घबड़ाने लगा। टुकड़ा भी सोने का नहीं मिला। फिर किसी ने कहा, खुदाई गहरी होनी चाहिए। सोना तो है, खोज करने वालों ने कहा, लेकिन गहरे में है; पहाड़ में नीचे दबा है। तो उसने बड़े यंत्र...। और जो कुछ 341
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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