________________
एस धम्मो सनंतनो
कारण ही इसके मुख से दुर्गंध निकल रही है। और इसलिए भी कि इसी मुख से इसने उसे धोखा दिया, जिसने सिवाय अनुकंपा के, इस पर और कुछ भी न किया था। यही मुख काश्यप के विपरीत और विरोध में बोलता फिरा। यही मुख जो उनकी प्रशंसा के गीत गाता, उनकी निंदा के गीत गाया। इसलिए भी। ___और यह जानता था कि जो मैं कह रहा हूं, जो मैं कर रहा हूं, वह गलत है। लेकिन अहंकार कहां सुनने देता अंतरात्मा की आवाज!
तुम भी बहुत बार जानते हो कि यह गलत है, फिर भी करते हो। '
संत अगस्तीन का बड़ा प्रसिद्ध वचन है कि हे प्रभु! दुश्मनों से तो मैं निपट लूंगा; लेकिन तू ही बचाए, तो मैं अपने से बच सकता हूं। दुश्मनों से तो मैं बच लूंगा। लेकिन मुझे मुझ से कौन बचाएगा? तू बचा। यही मेरी प्रार्थना है। क्योंकि मैं वह करता हूं, जो नहीं करना चाहिए। और वह कभी नहीं करता, जो करना चाहिए। और सब मैं जानता हूं कि क्या गलत है और क्या ठीक है।
इसे पता था; सब जानते हुए, भलीभांति जानते हुए, इसने धूर्तता की, दगाबाजी की। अहंकार में चूक गया। करीब आते-आते दीए के और भटक गया,अंधकार में। इसलिए भीतर से दुर्गंध उठती है।
राजा को इस कथा पर भरोसा न हुआ। तुमको भी नहीं होगा। अगर तुम मेरे पास आओ और मैं कहूं कि पिछले जन्म में तुम यह थे। मछली की तो छोड़ो, तुम्हारी कहूं, तो भी भरोसा नहीं होगा। मछली की कहूं, तब तो तुम मानोगे ही नहीं-कि यह भी...इसका क्या प्रमाण? समझना इस बात को।।
बुद्ध कह रहे हैं, तो भी राजा को भरोसा नहीं। शायद तीन बार झुका, तब शायद थोड़ा झुकना आ गया होगा। बुद्ध ने इतने वचन कहे, इस बीच अकड़ फिर लौट आयी है। अहंकार फिर मजबूत हो गया। तीन बार झुककर भी फिर वापस आ गया!
अहंकार लौट-लौट आता है। तर्क लौट-लौट आता है। संदेह फिर-फिर पकड़ लेता है।
राजा को भरोसा न हुआ। वह बोलाः आप इस मछली से कहलवाएं, तो मानू।
अब तुम थोड़ा सोचनाः बुद्ध के वचन पर भरोसा नहीं; मछली के वचन पर भरोसा आ जाएगा! आदमी की मूढ़ता ऐसी है। बुद्ध कहते हैं, इस पर भरोसा नहीं; मछली कह दे तो भरोसा आ जाए! हम क्षुद्र पर भरोसा करते हैं। हम व्यर्थ पर भरोसा करते हैं। ___ भगवान हंसे। हंसे इसलिए कि यह भी कैसी मूढ़ता। मैं कह रहा हूं, उस पर भरोसा नहीं। मछली कह देगी, उस पर भरोसा आ जाएगा!
हंसे और करुणा से उन्होंने इस राजा को देखा; वैसी ही करुणा से, जैसे पहले मछली को देखा था। क्यों? क्योंकि उनको लगा होगा : यह भी पास तो आकर बैठ गया, किसी दिन अचिरवती नदी में गिरेगा। सोने की देह होगी, मुंह से दुर्गंध
M