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एस धम्मो सनंतनो
पाऊं-कि वह गया! वह प्रसाद बन गया। वह एक हाथ से दूसरे हाथ में गया। उसको दूसरे ने ले लिया। वे पचास आदमी जो आए थे पूरी टोकरी लेकर, जब तक वह पूरी टोकरी उन्होंने मुझे न चखा ली, और मेरे पूरे शरीर को नहाने योग्य नहीं कर दिया, और मक्खियां नहीं भिनभिनाने लगी, तब तक उन्होंने सेवा जारी रखी। उनको इससे मतलब ही नहीं है।
यह तुम्हारी मूढ़ताओं के कारण ऐसा करना पड़ता है।
तुम समझते हो, मैं बंधन में हूं! मैं क्यों बंधन में होने लगा? हां, इतना जरूर है कि अब तुम्हें स्वतंत्रता नहीं है कि तुम कुछ भी उपद्रव यहां करना चाहो, तो करो।
लोग आते हैं; वे पूछते हैं : दरवाजे पर गार्ड क्यों बैठा है? आपकी कृपा से! तो आपके कारण। जब तक आपकी अनुकंपा रहेगी, गार्ड रहेगा। जब आपको बोध होगा, तो ही गार्ड हट सकता है। गार्ड मुझ पर नहीं है; गार्ड आप पर है।
लेकिन जिन सज्जन ने प्रश्न पूछा है, उन्होंने पूछा : 'मुझे बड़ा दुख हुआ। क्योंकि बुद्धपुरुषों को तो स्वतंत्र होना चाहिए!' ।
मैं स्वतंत्र हूं। लेकिन मेरी स्वतंत्रता के चुनाव मेरे हैं। मैं जो खाना चाहता हूं, वही खाना चाहता हूं। और जब मैं शांत बैठना चाहता हूं, तब मैं शांत बैठना चाहता हूं। और जब मैं सोना चाहता हूं, तब मैं सोना चाहता हूं। मैं किसी तरह की दखलंदाजी पसंद नहीं करता। ___ तुम्हें इससे अड़चन होती है। तुम्हें इससे बेचैनी होती है। तो तुम कहीं और खोजो, जहां तुम्हें अड़चन न हो; जहां तुम्हें बेचैनी न हो। मेरे साथ रहना है, तो मेरी शर्ते स्वीकार करनी पड़ेंगी। मैं तुम्हारे साथ नहीं हूं; तुम मेरे साथ हो। ___ मैं तुम्हारे पीछे चलने वाला नहीं हूं। तुम्हें मेरे पीछे चलना हो, तो चल लो। लेकिन तुम्हारी मर्जी यह होती है कि मैं तुम्हारे पीछे चलूं। यही मर्जी होगी इनकी, भगवानदास आर्य की। इनकी धारणा के अनुकूल मुझे होना चाहिए!
मेरा कोई कसूर कि आपकी धारणाएं गलत हैं! मैं आपकी धारणा के अनुकूल क्यों होऊं? मुझे न प्रतिष्ठा चाहिए, न आपका सम्मान चाहिए। मुझे सिर्फ मेरे जैसा होने दो। मैं किसी की प्रतिलिपि नहीं हूं और न किसी की प्रतिमूर्ति हूं। ___मुझे क्या लेना बुद्ध से! और क्या लेना कबीर से, नानक से! वे अपने ढंग से जीए; जो उन्हें ठीक लगा, वैसे जीए। जो मुझे ठीक लगता है, वैसा मैं जीता हूं। वहां हमारी समानता है। उसके अतिरिक्त और कोई समानता नहीं है।
महावीर को ठीक लगा-नग्न रहें; वे नग्न रहे। बुद्ध को ठीक लगा-घर-द्वार छोड़कर जंगल जाएं; वे जंगल गए। कबीर को ठीक लगा कि कपड़ा बुनते रहें; वे कपड़ा बुनते रहे। मोहम्मद को ठीक लगा कि तलवार लेकर लड़ना है, तो वे लड़े।
और जीसस को ठीक लगा कि सूली पर चढ़ना है, तो वे सूली पर चढ़े। जो मुझे ठीक लगता है, वह मैं करता हूं। वहां हमारी समानता है, बस। उससे ज्यादा कोई
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