SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 285
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो बातचीत खूब है। सब बात कर रहे हैं प्रेम ही प्रेम की । और सभी प्रेमी हैं । और प्रेम कहीं दिखायी नहीं पड़ता ! दिखायी पड़ता है : शुद्ध अप्रेम । कारण क्या होगा ? असली फूल खिल नहीं पाया। उसके पहले नकली फूल हमने पौधे पर लटका दिया । असली फूल की जगह ही रोक ली। असली फूल के लिए स्थान न रहा खिलने का। और एक दफा नकली फूल खिलाने की आदत आ गयी, तो फिर कौन असली की झंझट ले | असली के साथ थोड़ी झंझट भी है। नकली सुविधापूर्ण है। बाजार में बिकता है | चेष्टा करने से हो जाता है 1 यह जो चेष्टित प्रेम है — झूठा है । तो मैं तुमसे यह न कहूंगा कि परमात्मा को प्रेम करो। तुम बच्चों को भी यही झूठ सिखा रहे हो। ले गए मंदिर में उनको – कि ये परमात्मा बैठे हैं। बच्चा देखता है कि यहां कोई परमात्मा वगैरह नहीं है। इधर-उधर भी देखता है। एक मूर्ति रखी है पत्थर की। क्योंकि बच्चे को तुम धोखा नहीं दे सकते। बच्चे की आंखें अभी साफ- शुद्ध हैं। अभी धोखा देर है । बच्चा कहता भी है कि पिताजी! भगवान! ये भगवान ? इनको तो अभी मैं धक्का दे दूं तो लुढ़क जाएं! और वह देखो, वह चूहा चढ़ रहा है इनके ऊपर । वे जो लड्डू चढ़े हैं, तो चूहा भी आ गया है। ये तो चूहे से भी अपनी रक्षा नहीं कर सकते! और आप कहते हैं कि ये जगत के रक्षक हैं ! ये कैसे रक्षक ? ये कैसे भगवान ? लेकिन बाप कहता है : चुप रह! जब तू बड़ा होगा, तब जानेगा। अभी झुक, अभी नमस्कार कर । यह बच्चा जब इन भगवान को नमस्कार करता है, तो असल में भगवान को नमस्कार नहीं कर रहा है। यह सिर्फ बाप की जबर्दस्ती को नमस्कार कर रहा है। यह बाप ताकतवर है । और जिसकी लाठी, उसकी भैंस ! यह झुक रहा है भगवान को । लेकिन वस्तुतः इसको भगवान से क्या लेना-देना है ! यह इधर-उधर आंख उठाकर भी देख रहा है। | मेरे पास लोग ले आते हैं अपने बच्चों को । जबर्दस्ती उनको झुकाते हैं – कि छुओ पैर — गरदन पकड़कर ! कुछ ही दिन पहले एक महिला अपने बच्चे को लेकर आयी। उसकी गरदन को पकड़कर झुका रही है ! वह बेचारा गर्दन उठा रहा है। उसको झुकना नहीं है। यह तुम क्या कर रहे हो! यह खतरनाक बात सिखा रहे हो। इसके जीवन में फिर असली झुकना कभी नहीं होगा। यह तभी झुकेगा, जब कोई गरदन पकड़ लेगा। फिर इसकी पत्नी इसको झुकाएगी - गरदन पकड़कर। फिर इसके दफ्तर का मालिक इसको झुकाएगा — गरदन पकड़कर। फिर पुलिस वाला झुकाएगा — गरदन पकड़कर। मजिस्ट्रेट झुकाएगा । - जो भी इसकी गरदन पकड़ेगा, वहीं झुकेगा । और जिसकी गरदन यह पकड़ 272
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy