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एस धम्मो सनंतनो
भागने से कुछ न होगा।
तुमने कथा सुनी है सूफियों की!
एक सम्राट का बड़ा प्यारा नौकर बाजार गया और बाजार में उसे... । भीड़ में खड़ा था, तमाशा देख रहा था। कोई मदारी डमरू बजा रहा था कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा, तो उसने पीछे लौटकर देखा। लौटकर देखा तो ठगा रह गया; मौत खड़ी थी! वह तो इतना घबड़ा गया! उसने पूछा कि किसलिए आप मेरे कंधे पर हाथ रखे हैं! तो मृत्यु ने कहा : भई, इसलिए कि आज सांझ तुझे मरना है। मैं तुझे सूचना देने आयी हूं।
वह तो भागा अपने सम्राट के पास। गरीब आदमी, कंप गया! तो उसने सोचाः सम्राट के पास तो सब है, कुछ सुरक्षा हो जाएगी। सम्राट से जाकर कहा कि घबड़ा गया हूं। रास्ते पर मुझे मौत मिल गयी। उसने कंधे पर हाथ रखा और कहाः आज शाम मर जाएगा। मैं क्या करूं?
सम्राट ने कहा : मैं और क्या कर सकता हूं! इतना ही कर सकता हूं कि मेरे पास जो सबसे तेज घोड़ा है, तू ले ले। और भाग जा। जितनी दूर निकल सके, निकल जा। यह जगह ठीक नहीं। इस गांव में तेरा रुकना आज सांझ, ठीक नहीं। मौत यहां घूम रही है। तेरी मौत करीब है, तू यहां से भाग जा।।
और तो क्या आदमी करे! आदमी जिंदगीभर भागता है, और क्या करता है? अनेक-अनेक ढंगों से भागता है। जहां खतरा हो, वहां से भाग जाओ! संसार में खतरा है, हिमालय चले जाओ! बाजार में खतरा है, मंदिर में चले जाओ। जहां खतरा है-भागो। भगोड़ेपन के सिवाय और कोई रास्ता भी तो नहीं दिखता।
स्वभावतः, यह तर्क सीधा था कि मौत आसपास है, तू दूर निकल जा। उसके पास बड़ा तेज घोड़ा था सम्राट का और यह उसका प्यारा सेवक था। उसने अपना तेज घोड़ा दिया और कहा : तू फिकर मत करना। रुकना ही मत आज तो। जब सूरज ढले तब...। जितनी दूर-सैकड़ों मील दूर निकल जा।
वह भागा। उस दिन वह भोजन के लिए भी नहीं रुका। जल पीने के लिए भी नहीं रुका। मौत आती है, तो कहां जल, कहां भोजन! कहां भूख, कहां प्यास! भागता ही रहा। ___घोड़ा भी बड़ा अदभुत था, सैकड़ों मील दूर ले गया। दूसरी राजधानी में पहुंच गया—दमिश्क। जब पहुंच गया दूसरी राजधानी में, दूसरे राज्य में, तब निश्चित हुआ। सूरज भी ढल रहा था। उसने जाकर एक बगीचे में घोड़े को बांधा वृक्ष से और घोड़े की खूब पीठ थपथपायी। उसके कंधे पर सिर रखकर खड़ा हो गया। उसे बहुत धन्यवाद दिया कि तू अदभुत घोड़ा है; सैकड़ों मील दूर ले आया दिनभर में! थका भी नहीं; रुका भी नहीं! तेरी जितनी कृपा मानूं, उतनी कम।
और तभी उसने देखा कि फिर कोई हाथ उसके कंधे पर पड़ा। वही हाथ, जो
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