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एस धम्मो सनंतनो
दिया, वह भी अति महत्वपूर्ण है। और जिस भाव से दिया, वह तो और भी अधिक महत्वपूर्ण है।
किसको दिया!
जीसस भी बीज और खेत की बात करते हैं। वे कहते हैं : किसी ने आकर खेत में बीज फेंके। कुछ बीज रास्ते पर पड़े, रास्ता कठोर था, पथरीला था। बीज नहीं ऊगे। कुछ बीज मेड़ पर पड़े। ऊगे तो जरूर, लेकिन मेड़ पर लोग चलते थे, इसलिए ऊगे और मर गए। कुछ बीज खेत के बीच पड़े। ऊगे भी और बड़े फलवान हुए।
ऐसा ही, बुद्ध कहते हैं, बीज कहां डाला, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर है। बीज तो है ही महत्वपूर्ण; लेकिन बीज को किस भूमि में बोया, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है। अच्छी भूमि खोजी, कि ऐसे ही कहीं डाल दिया। रास्ते पर डाल दिया! मेड़ पर डाल दिया! जहां से लोग चलते हैं, वहां डाल दिया, कि ठीक-ठीक भूमि खोजी!
दान अगर ठीक भूमि खोजकर किया जाए, तो महाफलदायी होता है। किसको दिया? फिर किस भाव से दिया?
अंकुर को एक कुंजी हाथ लग गयी है। वह देखता है : धन देने से धन मिलता है। यह तो बड़ा हिसाब सस्ता हो गया! यह तो दुकानदारी हो गयी। यह तो जिसको मिल जाएगी कुंजी, वही यह करने लगेगा।
तुम डरते हो कि देने से कहां मिलने वाला है; जो हाथ में है, वह चला जाएगा; इसलिए नहीं देते। लेकिन तुममें और अंकुर में बहुत फर्क नहीं है। तुम इसलिए नहीं देते कि तुम डरते हो कि देने से चला जाएगा। अंकुर देता है, क्योंकि जानता है कि देने से मिलता है।
मैंने सुना है, एक कार को एक भिखमंगे ने रोका। कार रुकी। भिखमंगे ने कहाः कुछ मिल जाए। कार के मालिक ने बाहर सिर झांककर देखा। भिखमंगा तो भिखमंगा था। लेकिन चेहरे का ढंग कुलीन था। कपड़े यद्यपि पुराने थे, फट गए थे, लेकिन कीमती थे। व्यक्ति के मांगने में, उसकी भाषा में शिष्टता थी। पढ़ा-लिखा था। विश्वविद्यालय का स्नातक होगा। उसके पास हवा सुसंस्कृत की थी, यद्यपि दीन-हीन खड़ा था। __ वह धनपति चकित हुआ। उसने कहा कि मैं तुम्हें देखकर कह सकता हूं कि तुम अच्छे कुल से आते हो, सुशिक्षित हो, पढ़े-लिखे हो। यह दुर्दशा कैसे हुई?
उसने कहा ः आप न पूछे। दुख न पूछे। कुछ दे सकते हों, दे दें। उस धनपति ने सौ डालर निकालकर उसको दिए। उस भिखमंगे ने हंसकर लिए और कहा कि अब आपको बता ही दूं। यही हालत मेरी थी कुछ वर्षों पहले। ऐसे सौ-सौ दे-देकर बरबाद हुआ। आप भी ज्यादा दिन इस हालत में न रहेंगे। मैं आपकी भविष्यवाणी किए देता हूं। जो मेरी हालत हो गयी, वही आपकी हो जाएगी!
आमतौर से यही हम सब सोचते हैं कि दिया, तो गया! इसलिए हम पकड़ते
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