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________________ एस धम्मो सनंतनो धीरे-धीरे दौड़े, ऐसे लंगड़ाते-लंगड़ाते चले, घड़ी देखते रहे कि अब ये छह वर्ष कब पूरे होते हैं देखें । चलो, और थोड़ा चल लें। किसी तरह घसिटते रहे। तो इस घसिटने से छह वर्ष में काम पूरा नहीं होगा। छह जन्म भी लग जाएंगे। यह इस पर निर्भर है कि कितनी समग्रता से दौड़े। सब दांव पर लगा दिया बुद्ध ने। वहीं उनका राज है। धन लगा दिया, पद लगा दिया, प्रतिष्ठा लगा दी। सब लगा दिया दांव पर । देह-मन, सब समर्पित कर दिया उसी खोज के लिए। कुछ बचाया नहीं । कंजूसी नहीं की। दौड़ आधी-आधी नहीं थी, कुनकुनी नहीं थी । सौ डिग्री पर उबले, तो भाप बने । छह वर्ष पूरी तरह दौड़कर, सब तरफ से दौड़कर, सब उपाय करके, यह दिखायी पड़ा कि मिलता तो है ही नहीं। उपाय मैंने सब कर लिए; जो-जो उपाय थे, सब कर लिए, मिलता तो है ही नहीं। इस अपूर्व निराशा में बैठ गए; हताशा में बैठ गए। अब करने को कुछ नहीं बचा। लेकिन अगर तुमने कुनकुना-कुनकुना किया, तो करने को बहुत बचेगा। तुम सोचोगे कि ठीक है, कुछ तो किया, मगर टी. एम. नहीं कर पाए, भावातीत ध्यान नहीं कर पाए । शायद उससे मिल जाता । कि योग नहीं कर पाए, शायद उससे मिल जाता। कि उपवास नहीं कर पाए, शायद उससे मिल जाता। इतना तो किया जरूर, लेकिन कुछ तो है, जो नहीं किया। कहीं उसमें न हो राज। कहीं वहां से द्वार न खुलता हो तो तुम्हारी हताशा पूरी नहीं होगी । ! हताशा पूर्ण होनी चाहिए। उस हताशा में ही तुम बैठते नहीं, तुम गिर जाते हो। बुद्ध उस रात गिर गए। दौड़-दौड़कर गिर गए। अपनी सामर्थ्य पूरी दौड़ लिए। फिर कोई सामर्थ्य न बची। गिर गए। वह गिरना अहंकार का विसर्जन होना हो गया। दौड़ ही न रही, तो अहंकार कहां रहे? जब करने से कुछ न हुआ, तो कर्ता मर गया। उस अकर्ता भाव में ही क्रांति घटी, सूर्योदय हुआ । पूछा तुमने : 'ज्ञानोपलब्धि से पहले बुद्ध ने छह वर्षों तक जो घोर तप किया था, क्या वह सब का सब व्यर्थ गया या उसका कुछ अंश भी काम में आया ?' पूरा का पूरा व्यर्थ गया और पूरा का पूरा काम में आया । चौथा प्रश्न : 194 मैं निराशा में डूबा हुआ हूं; मुझे आशा दें; मुझे सहारा दें। तु म गलत जगह आ गए। आशा चाहिए, तो कहीं और जाओ । आशा यानी संसार । निराशा यानी संसार व्यर्थ हुआ। देख लिया, यहां कुछ
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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