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________________ एस धम्मो सनंतनो है ढलते सूरज में। बीच में ऊंची-नीची पहाड़ियां हैं। पहुंच पाएंगे कि नहीं, घबड़ाहट है। इससे अब बात करने में समय खोना है। और इस आदमी की बात में कुछ सार होने वाला नहीं है। दोनों भागे। जब वे भाग रहे थे, तब उस मल्लाह ने जोर से हंसकर फिर कहा: याद रखना मेरी बात। धीरे गए, तो पहुंच जाओगे। तेजी से गए, तो भटक जाओगे। तब तो वे और तेजी से भागे कि इसकी बात सुनना भी खतरे से खाली नहीं है। और वही हुआ, जो मल्लाह ने कहा था। बूढ़ा आदमी जल्दी में भागते में सिर पर ग्रंथों का बोझ–गिर पड़ा। ऊबड़-खाबड़ रास्ता था। बूढ़ा आदमी। ठीक से दिखता भी नहीं था। गिर पड़ा। दोनों पैर लहूलुहान हो गए। और सारे शास्त्र गिर गए और उनके पन्ने हवा ने उड़ा दिए। और युवक उनके पन्ने बीन रहा है। . मांझी ने अपनी नांव बांधी। बांधकर जब वह उनके पास आया; खड़े होकर हंसने लगा। उसने कहा : तुमने मुझे समझा होगा कि पागल हूं। मैंने तुमसे कहा था कि धीरे जाओगे, पहुंच जाओगे। रास्ता ऊबड़-खाबड़ है, अनजान है। तुम इस पर कभी चले नहीं। मैं इस पर रोज आता-जाता हूं। तुम बूढ़े आदमी; शास्त्रों का इतना बोझ लिए! मैं जानता था कि गिर पड़ोगे। इसलिए कहा था, धीरे चलो। और तुम देखते नहीं कि मुझे अभी नाव बांधनी है। फिर मुझे भी तो गांव पहुंचना है। मैं तुम्हारे पीछे ही आ रहा हूं। अगर मैं पहुंच जाऊंगा, तो तुम भी पहुंच जाओगे। इस छोटी सी कहानी में बड़ा राज है। क्षुद्र चीजों की तरफ तो शायद दौड़ो, तो चल जाए। लेकिन विराट की तरफ दौड़ना मत। दौड़ में अधैर्य है। . धन पाना हो, तो दौड़ना ही पड़ेगा; क्योंकि धन तो एक तरह का पागलपन है। उसमें तो तुम जितने पागल हो जाओ, उतनी आसानी से मिल जाएगा। पद पाना हो, तो दौड़ना ही पड़ेगा। पद तो एक तरह का पागलपन है। उसमें समझदार तो रस ही नहीं लेता। उसमें तो नासमझ ही उत्सुक होते हैं। उसमें तो जिनकी बुद्धि मारी गयी है, वे ही रस लेते हैं। _लेकिन परमात्मा को पाना हो, तो दौड़ना मत। क्योंकि परमात्मा को पाने के लिए तो एक शांत दशा चाहिए। दौड़ने में तो ज्वर आ जाता है; शांति खो जाती है; मन अशांत हो जाता है। तुम देखते हो : पश्चिम में कितनी अशांति है! होना नहीं चाहिए। क्योंकि उनके पास सब है। धन है, सुविधा है, यंत्र हैं, विज्ञान का बड़ा विराट जाल है। सब है। पर बड़ी अशांति है। __ और बड़ी हैरानी है कि मामला क्या है? धन भी बढ़ गया। जीवन का स्तर भी बढ़ गया। लोग राजाओं की तरह रह रहे हैं। साधारण लोग राजाओं की तरह रह रहे हैं! अच्छे मकान हैं। अच्छी चिकित्सा का उपाय है। लोग लंबे जी रहे हैं। 188
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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