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एस धम्मो सनंतनो
तुमने खयाल किया ? कुछ न हो। वे दोनों आदमी कहें: अच्छा भाई, क्या फायदा लड़ने-झगड़ने से ! एकदम गांधीवादी हो जाएं। कहें कि चलो, महात्मा गांधी की जय! क्या फायदा ! हम तुमको मारें, तुम हमको मारो ! कोई सार नहीं। तो जितनी भीड़ खड़ी है, वह उदास लौटेगी — कि कुछ भी नहीं हुआ ! घंटाभर खराब हुआ । गाली-गलौज काफी बकी गयी !
लोग दूसरे के दुख में एक तरह का रस लेते हैं । और दूसरे के सुख से पीड़ित होते हैं।
तुमने देखा : तुम बड़ा मकान बनाओ; पूरा गांव तुम्हारे खिलाफ हो जाता है। तुम सुखी दिखायी पड़ो; किसी को सुख नहीं होता। तुम स्वस्थ हो, किसी को अच्छा नहीं लगता। तुम खाते-पीते, मजे से जी रहे हो; तुम्हारे घर संगीत होता है, नाच होता है; सारा गांव तुम्हारा दुश्मन हो जाता है – कि अरे ! भोगी है, भ्रष्ट है। नर्क जाएगा।
और तुम भूखे मरो, धूप में बैठ जाओ, घाव बना लो - सारे गांव की दया और सहानुभूति तुम्हारे लिए है! तुम्हारे घर में आग लग जाए, तो लोग सहानुभूति प्रगट करने आते हैं। वे कहते हैं : बड़ा बुरा हो गया ! और तुम्हारा घर बड़ा हो जाए, और एक नयी मंजिल बन जाए; कोई नहीं आता कहने कि बड़ा अच्छा हो गया।
जरा सोचना । जब अच्छा होता है, तब कोई कहने नहीं आता कि अच्छा हो गया। और जब बुरा होता है, तब लोग कहने आते हैं कि भई बहुत बुरा हो गया। मगर जब वे कहते हैं कि बहुत बुरा हो गया, तब उनकी आंखों में झांकना । तुम पाओगे : वे रस ले रहे हैं। सहानुभूति में मजा आ रहा है। तुम आज नीची हालत में हो । आज तुम पर दया करने का मौका मिला। यह मौका कभी मिला नहीं था। तुम कभी बुरी हालत में थे ही नहीं । आज तुम चारों खाने चित्त पड़े हो ! आज कोई भी दया कर सकता है। राह चलता राहगीर कह सकता है: भाई, बहुत बुरा हुआ ! लेकिन उसके भीतर देखो : कुछ मजा ले रहा है।
मनुष्य का मन बड़ा जटिल है।
ये पांच भिक्षु बुद्ध की सेवा में रत रहे। लेकिन जब बुद्ध ने सब उपवास छोड़ दिया, तप छोड़ दिया, इन्होंने बुद्ध को छोड़ दिया । इन्होंने कहा : यह भ्रष्ट हो गया। गौतम भ्रष्ट हो गया ! अब यह काम का नहीं रहा। यह पतित हो गया।
जब तक यह गौतम अपने को सता रहा था, महातपस्वी था । जिस दिन बुद्ध ने यह सब व्यर्थ मूढ़ता छोड़ दी, यह आत्महिंसा छोड़ दी, यह आत्मघात छोड़ दिया, उसी दिन पांचों भिक्षुओं ने उनको छोड़ दिया! उन्होंने कहा: अब हमारे काम के न रहे। अब हम कोई दूसरा गुरु खोजेंगे। वे उन्हें छोड़कर चले गए। उसी रात बुद्ध को ज्ञान हुआ। जिस सांझ को पांच भिक्षु छोड़कर चले गए, उस रात बुद्ध को ज्ञान हुआ । दूसरे दिन सुबह बुद्ध को पहली याद यही आयी कि वे बेचारे पांच! इतने दिन मेरे साथ रहे, और आखिरी घड़ी छोड़कर चले गए । अब, जब कि मेरे पास देने को
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