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________________ बोध से मार पर विजय उलटा है। यह सत्य से बिलकुल उलटा है। इसमें जागना है। इस संसार में जो जागता है, वह राम की तरफ सरकने लगता है। इस संसार में जो सोया-सोया चलता है, वह मार के पंजे में पड़ता जाता है; वह शैतान के हाथों में पड़ता जाता है। दूसरा दृश्य : भगवान जेतवन में विहरते थे । एक दिन बहुत से आगंतुक भिक्षु आए। इन अतिथियों को भगवान ने राहुल के निवास स्थान पर ठहराया। रात्रि में राहुल सोने के लिए अन्य स्थान नहीं देखते हुए, भगवान के निवास स्थान – गंधकुटी—के बरामदे में जाकर सो रहा। उस समय राहुल यद्यपि श्रामणेर था, फिर भी अर्हतत्व के बहुत करीब पहुंच रहा था। मार ने उसे बरामदे में सोया हुआ देखकर हाथी का वेश धारण कर उसके पास आकर सूंड़ से उसके सिर को घेरकर क्रोंच शब्द किया। शास्ता ने गंधकुटी के भीतर से ही मार को जान कहा: मार! तेरे जैसे लाखों भी मेरे पुत्र को भय नहीं उत्पन्न कर सकते हैं। मेरा पुत्र निर्भीक, तृष्णारहित, महाबलवान और महाबुद्धिमान है। यह कहकर इन गाथाओं को कहा; ये दो गाथाएं ः · निदुंगतो असंतासी वीततण्हो अनंगणो । उच्छिज्ज भवसल्लानि अंतिमो 'यं समुस्सयो ।। वीततो अनादानो निरुत्तिपदकोविदो । अक्खरानं सन्निपातं जञ्ञ पुब्बापरानि च। स वें अंतिमसारीरो महापञ्ञो 'ति वुच्चति ।। ‘जिस मनुष्य ने अर्हतत्व पा लिया, जो भयरहित है, जो वीततृष्णा और निष्कलुष है, जिसने संसार के शल्यों को काट दिया है, यह उसकी अंतिम देह है । ' 'जो मनुष्य वीततृष्णा, परिग्रहरहित है, निरुक्त और पद का जानकार है, जो अक्षरों को पहले पीछे रखना जानता है, वही अंतिम शरीर वाला और महाप्राज्ञ कहा जाता है । ' - राहुल गौतम बुद्ध का बेटा था। राहुल के संबंध में थोड़ी बात समझ लें । फिर इस दृश्य को समझना आसान हो जाएगा। जिस रात बुद्ध ने घर छोड़ा, महा अभिनिष्क्रमण किया, राहुल बहुत छोटा था । एक ही दिन का था। अभी-अभी पैदा हुआ था। बुद्ध घर छोड़ने के पहले गए थे यशोधरा के कमरे में इस नवजात बेटे को देखने। यशोधरा अपनी छाती से लगाए राहुल को, सो रही थी । चाहते थे, देख लें राहुल का मुंह, क्योंकि फिर मिले देखने, 153
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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