SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो तूने अच्छा-अच्छा मांग लिया; मीठा-मीठा मांग लिया। खारे की भी जरूरत है। तूने सुख ही सुख मांग लिया; दुख की भी जरूरत है। दर्द निखारता है। तूने अच्छा-अच्छा मांग लिया। खूब पानी मांगा। धूप मांगी। यह सब किया। लेकिन तूने संघर्ष का मौका ही नहीं दिया पौधों को। इसलिए संघर्ष नहीं था, तो पौधों की जड़ें मजबूत नहीं हुईं। पौधे ऊपर तो उठ गए, लेकिन नीचे कमजोर हैं। जरा जड़ें तो उखाड़कर देख। देखा, तो जड़ें बड़ी छोटी-छोटी। तो भूमि से सत्व नहीं मिला। जब पौधों को अंधड़ झेलना पड़ता है, खतरा लेना पड़ता है, तो जड़ें गहरी जाती हैं। तुमने देखा, तुम चकित होओगे जानकर। अगर हवा का रुख हमेशा एक तरफ से हो, समझो कि बायीं तरफ से आती हो और वृक्ष को दायीं तरफ झुकाती हो, तो बाएं तरफ वृक्ष की जड़ें ज्यादा मजबूत हो जाती हैं। क्योंकि उस तरफ उसको जमीन को जोर से पकड़ना होता है। नहीं तो गिर जाएगा। उतनी ही गहरी जड़ें चली जाती हैं। __तुमने देखा : अफ्रीका में वृक्ष बड़े ऊंचे जाते हैं। जाना पड़ता है। क्योंकि चारों तरफ घना जंगल है। अगर ऊंचे न जाएं, तो सूरज की रोशनी न मिलेगी। इसलिए अफ्रीकन वृक्ष ऊंचा होता है। उसी को यहां ले आओ, वह यहां नीचा हो जाता है। यहां उतने ऊंचे जाने की कोई जरूरत नहीं है। ___ संघर्ष, परमात्मा ने कहा उस किसान को, अत्यंत जरूरी है। नहीं तो संकल्प पैदा नहीं होता। और संकल्प पैदा न हो, तो समर्पण तो कभी पैदा होगा ही नहीं। चुनौती चाहिए। तुम कहते हो ः 'डरता हूं विरोध से।' डर भी स्वाभाविक है। लेकिन डर को एक किनारे रखो। होने दो विरोध। क्या कोई छीन लेगा? है क्या हमारे पास, जो कोई छीन लेगा? ज्यादा से ज्यादा जिंदगी कोई ले सकता है। लेकिन जिंदगी तो ऐसे ही चली जाएगी। कोई मार ही डालेगा न—वह भी ज्यादा से ज्यादा। कोई मारता करता नहीं। कितने लोग मारे जाते हैं! बहुत थोड़े लोग मारे जाते हैं। लेकिन ज्यादा से ज्यादा समझ लो, कोई मार डालेगा, तो भी क्या बिगड़ा! क्या खो गया? यह जिंदगी तो जाने ही वाली थी; ढंग से गयी। ___और हो सकता है, अगर मरते क्षण में भी तुम्हारा हृदय अनुकंपा से भरा हो, तो तुम मुक्त हो जाओगे। यह मृत्यु मोक्ष बन सकती है। ___ लोग पत्थर मारेंगे न। लोग अपमान करेंगे। लोग प्रतिष्ठा खराब कर देंगे। तो ठीक है। इससे अहंकार को गिरने में सहायता मिलेगी। हर्जा क्या है! मंजुश्री को देखा! चला गया! और डरे। उन्होंने कहाः वह विमलकीर्ति कष्ट में डालेगा! मंजुश्री चला गया और लोग डरे। मंजुश्री को कुछ डर नहीं था, क्योंकि अहंकार नहीं था। 134
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy