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________________ एस धम्मो सनंतनो है; यही आंख जो अभी पदार्थ को देखती है; यही आंख परमात्मा को देख लेगी। आंख तो यही है, सिर्फ इस आंख को परमात्मा की तरफ लगाना है। उस लगाने का नाम ध्यान है। तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं, ताकि तुम्हें याद आ जाए, ताकि तुम्हें भूल-भूल न जाए, तुम्हें याद बनी ही रहे; रोज-रोज याद आ जाए–कि तुम्हारे भीतर कोई परम आराध्य बैठा है। यही याद सघन होगी, तो तुम बदलोगे, रूपांतरित होओगे। तुम्हारे भीतर क्रांति इसी याद की सघनता से हो सकती है। अंतिम प्रश्नः मैं आपका संदेश लोगों तक पहंचाना चाहता है, लेकिन मेरी सामर्थ्य अति अल्प है। फिर लोगों के विरोध से भी डरता हूं। मेरे लिए कोई आदेश? आदेश तो मैं कोई भी नहीं देता। क्योंकि आदेश का मतलब तो होता है : मैं तुम्हारे जीवन का नियंता हो गया। आदेश का तो अर्थ होता है : मैं तुम्हारा मालिक हो गया। आदेश का तो अर्थ होता है : तुम मेरे गुलाम हो गए। आदेश का तो अर्थ होता है : मैंने तुम्हारी स्वतंत्रता छीन ली। मैं तुम्हें स्वतंत्रता देता हूं, आदेश नहीं। मैं तुम्हें समझ देता हूं जरूर। मैं तुम्हें अपनी आंखें भी देने को तैयार हूं, ताकि तुम उनसे थोड़ी देर देख सको। और उस देखने से तुम अपनी आंखों की याद से भर जाओ। इसलिए तुम से बोलता हूं। यह बोलने में आदेश नहीं है। यही उपदेश और आदेश का फर्क है। जैन परंपरा में यह वचन है कि तीर्थंकर आदेश नहीं देते, सिर्फ उपदेश देते हैं। क्या फर्क है दोनों में? आदेश का मतलब होता है : ऐसा करना ही पड़ेगा; ऐसा करो। नहीं करोगे तो दंड के भागी हो जाओगे। उपदेश का अर्थ होता है : ऐसा करना शुभ है। करो तो शुभ होगा। नहीं करोगे, तो शुभ से चूकोगे। लेकिन कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है। उपदेश का अर्थ है : ऐसा है। देखो। आदेश का अर्थ है : देखने-वेखने की जरूरत नहीं। ऐसा करो। आदेश में करने पर जोर होता है; उपदेश में देखने पर जोर होता है। उपदेश सिर्फ दर्शन की प्रक्रिया है। और आदेश? आदेश में तुम्हारी चिंता नहीं है कि तुम्हें दिखायी पड़ता है कि नहीं दिखायी पड़ता।.. नीति आदेश देती है; धर्म उपदेश है। नीति कहती है : चोरी मत करो, दान करो। धर्म यह नहीं कहता कि चोरी मत करो, दान करो। धर्म कहता है : देखो, समझो; 132
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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