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________________ एस धम्मो सनंतनो प्रार्थना है, इतना दाम देकर आप इस फूल का करोगे क्या! वजीर भी बहुत दाम दे रहा था। मेरी तो बुद्धि चकरा गयी। मैं तो सोचकर निकला था कि कोई पांच रुपए भी दे दे, तो बहुत। बड़ी हिम्मत करके मैंने सौ मांगे थे, जानते हुए कि वजीर नाराज होगा और गुस्सा करेगा। लेकिन वह हजार देने को तैयार था। फिर दस हजार देने को तैयार था। अब आप हैं कि आपने मुझे और उलझन में डाल दिया। आप कहते हैं, जितना मांगेगा, उससे दस गुना मिलेगा; फूल मुझे दे दे। और फिर सुबह-सुबह आप सब जा कहां रहे हैं आज? उस सम्राट ने कहा : तुझे पता नहीं। भगवान बुद्ध का आगमन हुआ है। शायद उनके आने से ही बे-मौसम का फूल खिला है। शायद उनकी मौजूदगी का ही परिणाम है, प्रसाद है। उन्हीं के दर्शन को जा रहा हूं। और यह फूल किसी भी कीमत पर मुझे चाहिए। बहुत लोगों ने कमल के फूल बुद्ध के चरणों में चढ़ाए होंगे, लेकिन बे-मौसम...! यह बात ही विशिष्ट है। यह मेरे ही हाथ से होनी चाहिए। तू मांग ले, जो तुझे मांगना है। लेकिन तुम जानते हो, सुदास को क्या हुआ! सुदास ने कहा ः प्रभु! फिर मुझे क्षमा कर दें। फिर मैं ही उनके चरणों में यह फूल चढ़ाऊंगा। ___ अभी तक सुदास परेशान था, अब सम्राट परेशान हो गए। दस गुना देने की तैयारी है और यह गरीब आदमी क्या कह रहा है! सुदास ने कहा कि क्षमा करें मुझे। मैं गरीब आदमी हूं। बेचने चला था। मुझे पता ही नहीं था कि भगवान का आगमन हुआ है। धन्यवाद आपका! लेकिन अब बेच न सकूँगा। जब आप इतना दाम देकर चरणों में चढ़ाने जा रहे हैं, तो चरणों में चढ़ाने में जरूर ज्यादा रस होगा, ज्यादा आनंद होगा। मैं ही चढ़ा लूंगा। गरीब तो हूं ही, तो गरीब तो रहा ही आऊंगा। क्या फर्क पड़ता है! इतने दिन गरीबी में गुजार दिए, आगे भी गुजार दूंगा। मगर फूल सुदास ही चढ़ाएगा। ___ ऐसे उस दिन बुद्ध जब प्रवचन को आते थे, तो मार्ग पर सुदास ने उनके चरणों में फूल रख दिया था। वही फूल महाकाश्यप को दिया था। ___ वह फूल भी अदभुत था। सुदास का बड़ा दान था; बड़ी कुरबानी थी; बड़ा त्याग था। फूल साधारण नहीं था। एक तो बे-मौसम खिला था। फिर एक गरीब आदमी ने सम्राट को धुतकारा था। और एक गरीब आदमी ने कह दिया थाः अब फूल नहीं बिकेगा। फूल अनूठा था। बुद्ध उसी फूल को लेकर आकर प्रवचन-सभा में बैठ गए। और उस फूल को देखने लगे। __ मैंने कहाः चित्रकार एक ढंग से देखेगा; वैज्ञानिक और ढंग से; कवि और ढंग से; माली और ढंग से। बुद्ध ने कैसे देखा? बुद्ध का ढंग सबसे भिन्न होगा; सबसे अनूठा और सबसे पार। जब बुद्ध उस फूल को देखते रहे, तो सिर्फ साक्षी मात्र थे। कोई विचार भी भीतर 110
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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