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एस धम्मो सनंतनो
नहीं छेद सकते, मुझे आग नहीं जला सकती। मगर वे किस मुझ की बात कर रहे हैं? वे शरीर की बात नहीं कर रहे हैं; वे आत्मा की बात कर रहे हैं। नहीं तो कृष्ण खुद भी तो शस्त्र के छिद जाने से मरे। लेटे थे विश्राम करने एक वृक्ष के नीचे और किसी ने धोखे से, भूल से तीर चला दिया। उनके पैर में लगा। उससे मरे। __ नैनं छिंदंति शस्त्राणि? कृष्ण खुद तो मरे तीर के छिद जाने से! तो ये कृष्ण किसी और की बात कर रहे हैं। ये अंतरतम की बात कर रहे हैं। वहां शस्त्र नहीं छिदते। और कृष्ण को भी जलाया गया होगा। जब मर गए होंगे तो चिता पर रखा गया होगा। देह तो जलती है। देह तो कटती है। देह तो मरणधर्मा है। देह के भीतर छिपा हुआ अमृत है।
तो मैं यह नहीं मान सकता कि इस कैदी की स्थिति बुद्ध और कृष्ण और क्राइस्ट से ऊपर हो गयी थी। यह मैं नहीं मान सकता। जल्लादों ने मारा ही नहीं-यह मैं मान सकता हूं। जल्लाद ठिठक गए; उनके हाथ से तलवारें गिर गयीं-यह मैं मान सकता हूं। वे मारने के योग्य हिम्मत न जुटा पाए-यह मैं मान सकता हूं। इसलिए इतना फर्क किया।
तुमने कल पूछा था कि आप फर्क क्यों कर देते हैं कभी?
फर्क इसलिए कर देता हूं कि ये कहानियां ढाई हजार साल पहले लिखी गयी थीं। ढाई हजार साल बीत गए; इन ढाई हजार सालों में आदमी के चित्त ने बड़ी क्रांतियां देखीं, बड़े रूपांतरण देखे। आदमी प्रौढ़ हुआ है। ___ बच्चों की कहानी में एक बात लिखी जा सकती है। जवानों की कहानी में वही बात नहीं लिखी जा सकती। बच्चों की कहानियां बच्चों की कहानियां हैं। ये जब लिखी गयी थीं, तब आदमी की चित्त-दशा इतनी प्रौढ़ नहीं थी।
__ जल्लाद उसे वधस्थल पर ले जाकर मारना चाहे, तो मार न सके, वह ऐसा ज्योतिर्मय हो उठा। और उसे तो अब कोई भय था ही नहीं। ध्यान में भय कहां! ध्यान में मृत्यु कहां! उसकी वह अपूर्व दशा, वह आनंद दशा-जल्लाद भी उसके चरणों में झुक गए! यह खबर राजा तक पहुंची। राजा स्वयं अपनी आंखों से देखने आया। ऐसा अलौकिक सौंदर्य देख, आश्चर्यचकित हो, उसने बंदी को छोड़ देने की आज्ञा
___ ध्यान में सौंदर्य है। समाधि में परम सौंदर्य है। ध्यान के अतिरिक्त और कोई सौंदर्य नहीं है। सौंदर्य चाहते हो, तो ध्यान को चाहो। प्रसाधन के साधनों से कोई सुंदर नहीं हो जाएगा। और यह देह तो अभी सुंदर, अभी कुरूप हो जाती है। यह देह अभी जवान है, अभी बूढ़ी हो जाएगी। इस देह पर भरोसा मत करो। भीतर के सौंदर्य पर भरोसा करो, क्योंकि वही सदा साथ रहने वाला है।
लेकिन राजा भी चकित था। कैसे यह हुआ! तो वह बुद्ध के चरणों में कैदी को लेकर उपस्थित हुआ। पूछा उसनेः यह रूपांतरण कैसे हुआ? मैं जानना चाहता हूं।
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