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एस धम्मो सनंतनो
समाज का कोई अस्तित्व नहीं है, व्यक्ति का अस्तित्व है। तुम तो कम से कम, एक तो कम से कम खिल जाए। इतनी तो कृपा दुनिया पर करो! ____ तुम्हारी इस कृपा से इतना होगा कि तुमसे जो दुर्गंध उठती है, नहीं उठेगी। अगर तुम्हें सच में लोगों पर दया आती है, तो कम से कम उस दुर्गंध को तो रोक दो जो तुमसे उठती है। दूसरे पर तो तुम्हारा वश भी नहीं है, कम से कम तुम तो थोड़ी सुगंध दो। जितना तुम कर सकते हो, उतना तो करो!
तुम कहते हो, वह भी मैं न करूंगा, क्योंकि दुनिया बहुत दुखी है।
सारा गांव बीमार है, माना, तुम भी बीमार हो, कम से कम तुम्हें दवा मिलती है, तुम तो इलाज कर लो। एक आदमी ठीक हो जाए तो दूसरे आदमियों को ठीक करने के लिए कुछ उपाय कर सकता है। सारा गांव सोया है, तुम भी सोए हो, कम . से कम तुम तो जग जाओ। एक आदमी जग जाए तो दूसरों को जगाने की व्यवस्था कर सकता है। सोया आदमी तो किसी को कैसे जगाएगा! जागा हुआ जगा सकता है। ध्यान का अर्थ इससे अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।
फिर भी तुम्हारी मर्जी ! तुम्हें लगता हो, जब तक दुनिया सुखी न हो जाएगी तब तक मैं ध्यान न करूंगा, तो तुम कभी ध्यान न करोगे; अनंत काल बीत जाएगा, तुम ध्यान न करोगे, क्योंकि यह दुनिया कभी सुखी इस तरह होने वाली नहीं है। तुम्हारे ध्यान करने से दुनिया के इस बड़े भवन की एक ईंट तो सुखी होती है, एक ईंट तो सोना बनती है, एक ईंट में तो प्राण आता है! इतनी दुनिया बदली, चलो इतना सही! बूंद-बूंद से सागर भर जाता है। तुम एक बूंद हो, माना बहुत छोटे हो, लेकिन इतने छोटे भी नहीं जितना तुमने मान रखा है।
आखिर बुद्ध एक ही व्यक्ति हैं, एक ही बूंद हैं, लेकिन एक का दीया जला तो फिर दीए से और हजारों दीए जले। ध्यान एक की चेतना में पैदा हो जाए तो वह लपट बहुतों को लगती है। सभी तो सुख की तलाश में हैं, जब किसी को जागा हुआ देखते हैं और लगता है कि सुख यहां घटा है, तो उस तरफ दौड़ पड़ते हैं। अभी दौड़ रहे हैं। जहां उन्हें दिखायी पड़ता है, सब दौड़ रहे हैं। यद्यपि वहां कोई सुख का प्रमाण भी नहीं मिलता, फिर भी और क्या करें! और कुछ करने को सूझता भी नहीं!
सब धन की तरफ जा रहे हैं, तुम दुखी हो, तुम भी धन की तरफ जा रहे हो। देखते भी हो गौर से कि धनियों के पास कोई सुख दिखायी पड़ता नहीं, लेकिन करें क्या! कुछ न करने से तो बेहतर है कुछ करें, खोजें, शायद मिल जाए। सारे लोग दौड़ रहे हैं तो एकदम तो गलत न होंगे! तो तुम भी भीड़ में सम्मिलित हो जाते हो।
लेकिन जब कहीं किसी बुद्ध में, किसी क्राइस्ट में, किसी कृष्ण में तुम्हें सुख का दीया जलता हुआ दिखायी पड़ता है, तब तो तुम्हारे लिए प्रमाण होता है। कोई जा रहा है या नहीं जा रहा है, यह सवाल नहीं है, तुम जा सकते हो।
अगर तुमने यह तय किया है कि जब सारी दुनिया सुखी हो जाएगी तब मैं ध्यान