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मृत्यु की महामारी में खड़ा जीवन
हत्या करके सारे दुखों के पार हो जाता है।
निर्वाण का अर्थ ही यही होता है-अपने हाथ से अपनी महामृत्यु को निमंत्रित कर लेना। निर्वाण का अर्थ होता है-दीए की ज्योति जैसे बुझ जाती है, ऐसा जो बुझ जाए, जिसके भीतर कोई मैं न बचे। इस न-मैं की अवस्था का नाम निर्वाण है।
आज इतना ही।
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