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________________ मृत्यु की महामारी में खड़ा जीवन डाला है। इसने अपने भीतर के सारे संसार को ही उखाड़ डाला है। __खयाल करना, तुम्हारा संसार तुम्हारे पड़ोसी का संसार नहीं है। पत्नी का संसार पति का संसार नहीं है, बेटे का संसार बाप का संसार नहीं है। यहां उतने ही संसार हैं जितने लोग हैं। हर आदमी अपने संसार में रह रहा है। हर आदमी ने अपने मन का विस्तार किया हुआ है, वही उसका संसार है। बुद्ध कहते हैं, इसने सारे अपने भीतर के जगत को ही जलाकर राख कर दिया। तो यह ब्राह्मण निष्पाप हो गया है। 'माता-पिता, दो क्षत्रिय राजाओं, व्याघ्रपंचम को मारकर ब्राह्मण निष्पाप हो जाता है।' पांच शत्रु हैं, जो मनुष्य को काटे डालते हैं। चाहे उनको पंचेन्द्रियां कहो, या पांच शत्रु कहो, पांच प्रकार की कामवासनाएं कहो, लेकिन पांच शत्रु हैं जो मनुष्य को काटे डालते हैं। यह उन पांचों को भी मारकर...। ___हत्या का ऐसा अदभुत अर्थ! स्वभावतः, भिक्षु चौंक गए होंगे जब पहली दफा सुना होगा कि मां-बाप को मारकर यह दुख से मुक्त हो गया है। उन्होंने पूछा- तथागत क्या कह रहे हैं! तथागत शब्द का भी वही अर्थ होता है जो सुगत का। सुगत का अर्थ होता है, जो भलीभांति चला गया, जो इस जमीन पर दिखायी पड़ता है लेकिन अब यहां जिसकी चेतना नहीं है। तथागत का यह भी अर्थ होता है, जो भलीभांति आया और भलीभांति चला गया। जो ऐसे आया जैसे आया ही न हो और ऐसे चला गया जैसे गया ही न हो, जिसका होना न होना किसी को पता ही न चला, जैसे पानी पर लकीर खींचते हैं ऐसे बुद्धों का आगमन है। इतिहास पर कोई रेखा नहीं छूटती। इतिहास पर रेखा तो हिटलर, चंगेजखां, तैमूरलंग, इनकी छूटती है, बुद्धों की नहीं छूटती। न करते हैं विध्वंस, तो कैसे रेखा छूटेगी इतिहास पर! अंतर्जगत में प्रवेश करते हैं, बाहर.के जगत में तो धीरे-धीरे शून्य हो जाते हैं, तो कैसे इतिहास पर रेखा छूटेगी? बुद्धों को तथागत कहा जाता है—चुपचाप आते हैं, चुपचाप चले जाते हैं। किसी को कानों-कान खबर नहीं पड़ती। शिष्यों ने पूछा कि तथागत क्या कह रहे हैं? यह आप कैसी बात कर रहे हैं कि माता-पिता को मारकर! माता-पिता को मारना तो सब से बड़ा पाप है। इसका एक और अर्थ मैं करना चाहूंगा, जो इस सूत्र में नहीं कहा गया है, लेकिन अगर बुद्ध आज होते तो कहते। अमरीका में मनोविज्ञान की एक नयी पद्धति विकसित हुई है, ट्रांजेक्शनल एनालिसिस। महत्वपूर्ण है बहुत। ट्रांजेक्शनल एनालिसिस के हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति में तीन व्यक्ति होते हैं—एक तुम्हारी मां, एक तुम्हारा पिता, एक तुम्हारा बचपन। छोटा बच्चा है, हजार काम करना चाहता है, हजार रुकावटें पड़ती हैं। आग से खेलना चाहता है, मां कहती है, नहीं। बाहर 31
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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