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जीवन का परम सत्य : यहीं, अभी, इसी में
में है, कल शक्तिहीन हो जाता है। आज जो सत्ता में है, कल सत्ता के बाहर हो जाता है। और मजा यह है इस दुनिया का, अंधापन ऐसा है कि जो भी सत्ता में आता है वह यही सोचता है कि अब आ गया, अब कभी बाहर नहीं होना है। इतने लोगों को बाहर जाते देखता है, फिर भी यह चूक बनी ही रहती है।
तुम आज जवान हो, कल बूढ़े हो जाओगे। और यह मत सोचना कि तुम्हारे साथ जगत का नियम कोई अपवाद का व्यवहार करेगा। यहां अपवाद होता ही नहीं। जगत के नियम निरपवाद हैं। आज जीते हो, कल मरोगे। अर्थी देखकर दया मत खाना, क्योंकि वह अर्थी तुम्हारी ही है। अर्थी देखकर जागो, दया खाने से क्या होगा? यह मत कहो कि बेचारा मर गया! जब तुम कहते हो कि बेचारा मर गया, तो उसमें कहीं यह भाव छिपा ही होता है कि हम भले, अभी तो नहीं मरे; कहीं दूर यह ध्वनि होती है कि हमको नहीं मरना है, यह बेचारा मर गया! __तुम्हें अपने बेचारेपन की याद आती है जब कोई मरता है? अगर नहीं याद आती, तो तुम फूलों की ढेरी लगा रहे हो, माला नहीं बना रहे। नहीं तो हर रोज जो अर्थी तुम्हारे द्वार के बाहर से निकलती, उसका हर फूल तुम्हारी माला में सजता जाए।
और इसके पहले कि मौत आए, मौत तुम्हारे सामने साक्षात हो जाए। उसी मौत के साक्षात्कार से संन्यास का जन्म होता है। ___बुद्ध ने कहा है, जिसने मृत्यु को देख लिया, वह संन्यस्त न हो, यह कैसे संभव है? संन्यास का अर्थ इतना ही है कि मौत तुम से जो छीन लेगी, हम उसे स्वेच्छा से दे देते हैं। हम कहते हैं, ठीक है, यह छिन ही जाने वाला है, इसको पकड़ रखने में व्यर्थ परेशानी क्यों लेनी? पहले पकड़ने की परेशानी लो, फिर छीने जाने का दुख भोगो, हम अपनी मौज से दे देते हैं! हम दान कर देते हैं। हम त्याग कर देते हैं। मौत जब ले ही जाएंगी तो मौत को यह अवसर क्यों दें? हम अपनी ही मर्जी से दे डालें। संन्यास का इतना ही अर्थ होता है कि जो मौत करेगी, वह हम खुद ही कर देते हैं, ताकि मौत को झंझट बचे। मौत को मेहनत क्यों करवाएं? . और खयाल रखना, बड़ा क्रांतिकारी फर्क है। जो आदमी गृहस्थ की तरह मरता है वह रोते-झीखते मरता है, क्योंकि उसका सब छीना जा रहा है। उसने जो-जो अपना माना था, सब हाथ से खिसका जा रहा है। और जो व्यक्ति संन्यस्त की तरह मरता है, वह अपूर्व आनंद से मरता है। उसके पास छीने जाने को कुछ भी नहीं, उससे कोई कुछ भी नहीं छीन सकता। उसने तो वह सब पहले ही मान लिया था कि मेरा नहीं है, जो मौत छीन लेगी। जो मौत छीन लेगी, वह मेरा नहीं है। यही तो कसौटी है मेरे होने की। मेरा वही है जो मौत नहीं छीन पाएगी। __ उसने तो वही बचाया जो मौत नहीं छीन पाएगी। उसने ध्यान बचाया, धन नहीं बचाया। उसने प्रेम बचाया, पद नहीं बचाया। उसने प्रार्थना बचायी, पूजा बचायी, अर्चना बचायी, उसने प्रभु-स्मरण बचाया, उसने समाज की प्रतिष्ठा और सम्मान
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