SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 327
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो जीवन में जो छोटी-छोटी बातों में विराट के दर्शन पा ले, वही बुद्धिमान है। जो अणु में असीम की झलक पा ले, वही बुद्धिमान है। क्षुद्र में जिसे क्षुद्रता न दिखायी पड़े, क्षुद्र में भी उसे देख ले जो सर्वात्मा है, वही बुद्धिमान है। जीवन के सत्य कहीं दूर आकाश में नहीं छिपे हैं। जीवन के सत्य यहीं लिखे पड़े हैं चारों तरफ। पत्ते-पत्ते पर और कण-कण पर जीवन का वेद लिखा है। देखने वाली आंख हों तो वेदों में पढ़ने की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि महावेद तुम्हारे चारों तरफ उपस्थित हुआ है। तुम्हारे ही जीवन की घटनाओं में सत्य ने हजार-हजार रंग-रूप लिए हैं। किसी अवतार के जीवन में जाने की जरूरत नहीं है। तुम्हारे भीतर भी परमात्मा अवतरित हुआ है। ___ अगर तुम ठीक से देखना शुरू करो—जिसे बुद्ध सम्यक-दृष्टि कहते हैं, ठीक-ठीक देखना-तो ऐसे बूंद-बूंद इकट्ठे करते-करते तुम्हारे भीतर भी अमृत का सागर इकट्ठा हो जाएगा। और बूंद-बूंद ही सागर भरता है। बूंद को इनकार मत करना, नहीं तो सागर कभी नहीं भरेगा। यह सोचकर बूंद को इनकार मत कर देना कि बूंद में क्या रखा है! हम सागर चाहते हैं, बूंद में क्या रखा है! जिसने बूंद को अस्वीकारा, वह सागर से भी वंचित रह जाएगा, क्योंकि सागर बनता बूंद से है। ___ जीवन के छोटे-छोटे फूलों को इकट्ठा करना ही काफी नहीं है, इन्हें बोध के धागे में पिरोओ कि इनकी माला बने। कुछ लोग इकट्ठा भी कर लेते हैं जीवन के अनुभव को, लेकिन उस अनुभव से कुछ सीख नहीं लेते। तो ढेर लग जाता है फूलों का, लेकिन माला नहीं बनती। जब तुम्हारे जीवन के बहुत से अनुभवों को तुम एक ही धागे में पिरो देते हो, जब तुम्हारे जीवन के बहुत से अनुभव एक ही दिशा में इंगित करने लगते हैं, तब तुम्हारे जीवन में सूत्र उपलब्ध होता है। ___ इसलिए अगर हम बुद्ध-वचनों को सूत्र कहते हैं, तो उसका कारण है। यह अनेक अनुभवों के भीतर छिपा हुआ धागा है। यह एकाध अनुभव से निचोड़ा नहीं गया है। यह बहुत अनुभवों के फूलों को भीतर अपने में सम्हाले हुए है। और खयाल करना, जब माला बनती है तो फूल दिखायी पड़ते हैं, धागा नहीं दिखायी पड़ता। जो नहीं दिखायी पड़ता वही सम्हाले हुए है। वह जो अदृश्य है, उसको पकड़ लेने के कारण इन गाथाओं को सूत्र कहते हैं। फिर माला बना लेने से भी बहुत कुछ नहीं होता। दुनिया में तीन तरह के लोग हैं। एक तो जो फूलों का ढेर लगाए जाते हैं, जो कभी माला नहीं बनाते। उनके जीवन में भी वही घटता है जो बुद्धों के जीवन में घटा। बूंदें उनके जीवन में आती हैं, लेकिन बूंदों में उनको सागर दिखायी नहीं पड़ता। और एक-एक बूंद आती है, और बूंद के कारण वे इनकार करते चले जाते हैं। इसलिए सागर से कभी मिलन नहीं होता। दूसरे वे हैं, जो हर बूंद का सत्कार करते हैं। हर बूंद को संग्रहीत करते हैं। उनको अनुभव 314
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy