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ध्यान का दीप, करुणा का प्रकाश
बच्चा संदेह सीख रहा है। बच्चा सोचता है, कैसा आनंद! यहां बड़े-बूढ़े बैठे हैं उदास, यहां दौड़ भी नहीं सकता, खेल भी नहीं सकता, नाच भी नहीं सकता, चीख-पुकार भी नहीं कर सकता, यहां कैसा आनंद! और बाप कहता था यहां आनंद मिलेगा! _ फिर बाप कहता है, झुको, यह भगवान की मूर्ति है। और बच्चा कहता है, भगवान! यह तो पत्थर है! यह तो पत्थर को कपड़े-लत्ते पहनाकर आपने खड़ा कर दिया है। तुम कहते हो, झुको जी, बड़े होओगे तब समझोगे। अभी तुम छोटे हो, अभी तुम्हारी यह बात समझ में नहीं आ सकती है। बड़ी जटिल बात है, बड़ी कठिन बात है। बड़े होओगे, तब समझोगे। __तुम जबर्दस्ती बच्चे की गर्दन पकड़कर झुका देते हो। तुम उसमें संदेह पैदा कर रहे हो। ध्यान रखना, तुम सोच रहे हो कि श्रद्धा पैदा कर रहे हो! वह बच्चा सिर तो झुका लेता है, लेकिन वह जानता है कि है तो यह पत्थर की मूर्ति।
उसे न केवल इस मूर्ति पर संदेह आ रहा है, अब तुम पर भी संदेह आ रहा है, तुम्हारी बुद्धि पर भी संदेह आ रहा है। अब वह सोच रहा है कि यह बाप भी कुछ मूढ़ मालूम होता है। कह नहीं सकता। कहेगा, जब तुम बूढ़े हो जाओगे और वह जवान हो जाएगा और उसके हाथ में ताकत होगी, जब तुम्हारी गर्दन दबाने लगेगा वह, तब कहेगा कि तुम मूढ़ हो।
मां-बाप पीछे परेशान होते हैं, वे कहते हैं कि क्या मामला है, बच्चे हम में श्रद्धा क्यों नहीं रखते! तुम्हीं ने नष्ट करवा दी श्रद्धा। तुमने ऐसे-ऐसे काम बच्चों से करवाए, तुमने ऐसी-ऐसी बातें बच्चों पर थोपी, कि बच्चों का सरल हृदय तो टूट ही गया और तुम जो झूठी श्रद्धा थोपना चाहते थे वह कभी थुपी नहीं। उसके पीछे संदेह पैदा हुआ। झूठी श्रद्धा कभी संदेह से मुक्त होती ही नहीं, संदेह की जन्मदात्री है। झूठी श्रद्धा के पीछे आता है संदेह। बच्चे की आंख तो ताजी होती है, उसे तो चीजें साफ दिखायी पड़ती हैं कि क्या-क्या है। . अब तुम कहते हो, यह गऊ माता है। और बच्चा कहता है, गऊ माता! तो बच्चा कहता है, यह जो बैल है, क्या यह पिता है? यह सीधी बात है, गणित की बात है। तुम कहते हो, नहीं, बैल पिता नहीं है, बस गऊ माता है। अब बच्चे को तुम पर संदेह होना शुरू हुआ कि बात क्या है? अगर गऊ माता है, तो बैल पिता होना चाहिए। और अगर बैल पिता नहीं है, तो गऊ माता कैसे है?
तुमने बच्चे के गले में एक धागा पहना दिया और तुम कहते हो कि यह बड़ा पवित्र है। और बच्चा देखता है कि मां इसको बना रही थी। यह पवित्र हो कैसे गया? यह पवित्र हो कब गया? इसकी पवित्रता क्या है?
तुम जो भी बच्चे को सिखा रहे हो, बच्चा भीतर से देख रहा है कि यह बात झूठ मालूम पड़ती है। कहता नहीं, इससे तुम यह मत सोच लेना कि तुम जीत गए।
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