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________________ एकमात्र साधना-सहजता शायद घाटी में पड़े हुए आदमी को भी समझ में आ जाए। ___ जो उस दिन केवल शिखर पर पहुंचे हुए लोगों को संभव था, वह आज पच्चीस सौ साल के बाद घाटी में भी कहा जा सकता है, इसीलिए मैं कह रहा हूं। जो मैं कह रहा हूं, यह बुद्ध ने भी कहना चाहा होता—बुद्ध तड़फे होंगे यह कहने को, नहीं कह सके। मैं भी कुछ बातें कहने को तड़फता हूं, वह पच्चीस सौ साल बाद कोई कहेगा; क्योंकि मैं तुमसे कहूंगा तो तुम नाराज हो जाओगे। मुझसे कितने लोग नाराज हैं। कुछ ऐसी ही बातों से नाराज हैं। जो वे नहीं सुनना चाहते थे, जिनकी सुनने की क्षमता अभी नहीं थी, वह मैंने कह दीं।। थोड़ी बातें तो कहनी ही पड़ेंगी, नहीं तो तुम आगे बढ़ोगे ही नहीं। सारी बातें नहीं कह सकता हूं, क्योंकि अनंतकाल पड़ा है, इस अनंतकाल में आदमी न मालूम कितनी-कितनी नयी विभाओं में, नयी दिशाओं में विकास करेगा। जब नयी चेतना अवतरित होने लगेगी तो नयी बातें कहना संभव हो जाएगा। __ शत्रुता बच सकती थी, जैन और बौद्ध आपस में न लड़ते यह हो सकता था, लेकिन यह बड़ी कीमत पर होता। कीमत यह होती कि न कोई जैन होता, न कोई बौद्ध होता, झगड़े का सवाल ही न था। झगड़ा तो तब हो न जब कोई बौद्ध हो जाए और कोई जैन हो जाए। झगड़ा भी निश्चय का परिणाम है। जब एक आदमी निश्चय से मान लेता है कि महावीर ठीक हैं और दूसरा आदमी निश्चय से मान लेता कि बुद्ध ठीक हैं, तो उनके बीच कलह शुरू होती है, तो विवाद शुरू होता है। तो लाभ भी न होता, हानि भी न होती। अगर ऐसा ही था, तो फिर यही उचित था जो हुआ-हानि भला हो जाए, कुछ लाभ तो हो। और जो लड़े-झगड़े, वे किसी और बहाने से लड़ते-झगड़ते। खयाल रखना, झगड़ना जिन्हें है, उनको बहानों भर का फर्क है, वे किसी और बहाने से लड़ते-झगड़ते। लड़ने वाले की लड़ाई इतनी आसानी से हटने वाली नहीं है, वह नए बहाने खोज लेता है। __ तुमने देखा? हिंदुस्तान गुलाम था, हिंदू-मुसलमान झगड़ते थे। झगड़ा टले, हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंट गए। सोचा था बांटने वालों ने कि इस तरह यह झगड़ा टल जाएगा-दोनों को देश मिल गए, अब तो कोई झगड़ा नहीं है, अब तो बात खतम हो गयी, मुसलमान शांति से रहेंगे, हिंदू शांति से रहेंगे। लेकिन रहे शांति से? तब बंगाली मुसलमान पंजाबी मुसलमान से लड़ने लगा। तब गुजराती महाराष्ट्रियन से लड़ने लगा। तब हिंदी बोलने वाला गैर-हिंदी बोलने वाले हिंदू से लड़ने लगा। ये पहले न लड़े थे, कभी तुमने खयाल किया? जब तक हिंदू-मुसलमान लड़ रहे थे, तब तक गुजराती और मराठी नहीं लड़ रहे थे, तब तक हिंदी और तमिल नहीं लड़ रहे थे। तब तक बंगाली मुसलमान और पंजाबी मुसलमान में गहरा भाईचारा था-दोनों मुसलमान थे, लड़ने की बात ही कहां थी? दोनों को हिंदू से लड़ना था, दोनों इकट्ठे थे। हिंदू भी इकट्ठे थे—मुसलमान से लड़ना था। 227
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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