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सत्यमेव जयते
हो गयी है, अंतःकरण में एक संघर्ष पैदा हो गया है; यह संकट उन्हें दिखायी पड़ गया होगा। सुंदरी को हटा देना जरूरी है। सुंदरी का जीते रहना अब खतरे से खाली नहीं है। __ सुंदरी को उन्होंने मरवा डाला। जेतवन में ही छिपा दी लाश। गांवभर में खबर फैला दी कि गौतम ने अपने पाप को छिपाने के लिए मालूम होता है सुंदरी को मरवा डाला।
धर्म के नाम पर ऐसा सब कुछ होता रहा है। आज भी होता है। और जब धर्म के नाम पर होता है तो लोग बड़ी आसानी से धोखा भी खा जाते हैं। क्योंकि धर्मगुरुओं से हम ऐसी आशा नहीं करते। धर्मगुरुओं से हम ऐसी आशा नहीं करते, इसलिए जल्दी से भरोसा भी कर लेते हैं। मगर यह पुरानी कथा है। यह सदा से होती रही बात है। जिनका धंधा दांव पर लग जाए, वे अपने को बचाने की सब तरह चेष्टा करते हैं। ठीक, गलत, फिर कोई चिंता नहीं रह जाती।
फिर वे श्रावस्ती के राजा के पास गए। और उन्होंने कहा, दाल में कुछ काला है, महाराज! गौतम ने मालूम होता है कुछ या तो मार डाला, या कहीं छिपा दिया, सुंदरी दिखायी नहीं पड़ती है कुछ दिनों से। और आपको तो पता होगा ही कि जेतवन में ही रातें गुजारा करती थी गौतम के साथ।
राजा ने सिपाही भेजे, लाश मिल गयी। उन धर्मगुरुओं ने कहा-महाराज, देखिए यह महापाप! एक पाप को छिपाने के लिए यह गौतम इतना बड़ा महापाप करने को तैयार हो गया। - अब तो हद्द हो गयी। अब तो कहानी में पूरी कहानी हो गयी। काम का कृत्य हो गया, हत्या भी हो गयी। इतने से ही तो सारी जासूसी कहानियां बनती हैं। अब तो पूरा सस्पेन्स! अब तो उन्होंने पूरी सनसनी पैदा कर दी! अब और कुछ बचा नहीं। और वहां एक आदमी है गौतम बुद्ध-निहत्था, चुप बैठा! इस पर भी गौतम कुछ भी न बोले। इस पर भी चप रहे।
. भिक्षुओं को भिक्षा मिलनी भी गांव में मुश्किल हो गयी। भिक्षा की दूर, गांव में निकलना मुश्किल हो गया। गांव में चलना मुश्किल हो गया। जहां जाते होंगे, लोग कहते, यह देखो, उस हत्यारे गौतम के शिष्य जा रहे। उस कामी गौतम के शिष्य जा रहे। इन्हें कौन भिक्षा देगा! कौन भिक्षा देकर झंझट में पड़ेगा? क्योंकि जो भिक्षा देगा, वह भी गांव की नजरों में गिरेगा। द्वार-दरवाजे बंद हो जाते होंगे। शायद बुद्ध को दो-चार दिन भोजन भी न मिला हो। क्योंकि बुद्ध के पास और तो कोई उपाय न था। लेकिन कुछ थोड़े से लोग थे, जो दुस्साहसी थे और अब भी आते थे। ऐसी ही घड़ियां कसौटी की घड़ियां होती हैं।
भगवान ने अपने भिक्षुओं से सिर्फ इतना ही कहा-असत्य असत्य है, तुम चिंता न करो। सत्य स्वयं अपनी रक्षा करने में समर्थ है।
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