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एस धम्मो सनंतनो
अभये च भयदस्सिनो भये च अभयदस्सिनो । मिच्छादिट्ठिसमादाना सत्ता गच्छंति दुग्गतिं । । २६२।।
त्र - संदर्भ | कथा ऐसी है
भगवान का प्रभाव प्रतिदिन बढ़ता जाता था । और जो वस्तुतः धर्मानुरागी थे वे अतीव रूप से आनंदित थे। उनके हृदय-कुसुम भी भगवान की किरणों में खुले जाते थे। उनके मन- पाखी भगवान के साथ अनंत की उड़ान के लिए तत्पर हो रहे थे।
लेकिन ऐसे लोग तो दुर्भाग्य से थोड़े ही थे। बहुत तो ऐसे थे, जिनके प्राणों में भगवान की उपस्थिति भाले- सी चुभ रही थी। भगवान का बढ़ता प्रभाव उन्हें क्रोध के जहर से भर रहा था। भगवान के वचन उन्हें विध्वंसक मालूम होते थे। उन्हें लगता था कि यह गौतम तो धर्म के नाश पर उतारू है।
और उनकी बात में थोड़ी सचाई भी थी ।
क्योंकि गौतम बुद्ध की शिक्षाएं, जिसे वे मतांध धर्म समझते थे, उससे निश्चय ही विरोध में थीं। गौतम किसी और ही धर्म की बात कर रहे थे। गौतम शुद्ध धर्म की बात कर रहे थे। गौतम परंपरावादी नहीं थे। न संप्रदायवादी थे, न शास्त्रों के पूजक थे, न रूढ़ियों - अंधविश्वासों के । गौतम का धर्म अतीत पर निर्भर नहीं था। गौतम का धर्म उधार नहीं था, स्वानुभव पर आधारित था। गौतम अपने शास्त्र स्वयं थे। गौतम का धर्म स्थिति-स्थापक नहीं था, आमूल क्रांतिकारी था। धर्म हो ही केवल क्रांतिकारी सकता है। गौतम की निष्ठा समाज में नहीं, व्यक्ति में थी । और गौतम की आधारशिला मनुष्य था, आकाश का कोई परमात्मा या देवी-देवता नहीं । गौतम ने मनुष्य की और मनुष्य के द्वारा चैतन्य की परम प्रतिष्ठा की थी।
इस सबसे रूढ़िवादी, दकियानूस, धर्म के नाम पर भांति-भांति के शोषण में संलग्न, प्रकार-प्रकार के पंडित-पुरोहितों और तथाकथित धर्मगुरुओं में किसी भी भांति गौतम को बदनाम करने की होड़ लगी थी। उन्होंने एक सुंदरी परिव्राजिका को विशाल धनराशि का लोभ देकर राजी कर लिया कि वह बुद्ध की अकीर्ति फैलाए। वह सुंदरी उनके साथ षड्यंत्र में संलग्न हो गयी। वह नित्य संध्या जेतवन की ओर जाती थी और परिव्राजिकाओं के समूह में रहकर प्रातः नगर में प्रवेश करती थी। और जब श्रावस्ती - वासी पूछते, कहां से आ रही है? तब वह कहती थी, रातभर श्रमण गौतम को रति में रमण कराकर जेतवन से आ रही हूं।
ऐसे भगवान की बदनामी फैलने लगी। लेकिन भगवान चुप रहे सो चुप रहे। भिक्षु आ-आकर सब उनसे कहते, लेकिन वे हंसते और चुप रहते। धीरे-धीरे यह एक ही बात सारे नगर की चर्चा का विषय बन गयी। लोग रस ले-लेकर और बात
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