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लोभ संसार है, गुरु से दूरी है तब हम जीते हैं शाश्वत में, तब हम जीते हैं अनंत में। तब हम जीते हैं उसमें, जो कभी नहीं बदलता; जो सदा है, सदा था, सदा रहेगा। एस धम्मो सनंतनो। उसको जान लेना ही शाश्वत सनातन धर्म को जान लेना है।
आज इतना ही।
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