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एस धम्मो सनंतनो
मान ले कि मैं कुछ हूं तो उनको खुद भी भरोसा आ जाए कि मैं कुछ हूं, और तो उनके पास उपाय नहीं ।
हीनग्रंथि के लोग ही राजनीति में उत्सुक होते हैं । हीनतम लोग राजनीति में उत्सुक होते हैं । तुम्हारी राजधानियों में हीनतम लोग इकट्ठे हैं। राजधानी करीब-करीब अपराधियों से भरी है, पागलों से भरी है, विक्षिप्तों से भरी है।
लेकिन ये अपराधी बड़े कुशल अपराधी हैं। ये बड़ी व्यवस्था और नियम से अपराध करते हैं । ये इस ढंग से अपराध करते हैं कि जैसे सेवा कर रहे हों। ये सेवा कहकर अपराध करते हैं।
मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन दिल्ली गया था। एक संध्या एक बगीचे में घूमने गया था। सर्दी आने-आने को थी, मीठी-मीठी सर्दी बढ़ने लगी थी, लोग अपने ऊनी वस्त्र निकाल लिए थे। मुल्ला भी अपना ऊनी कोट पहनकर बगीचे की तरफ घूमने गया था। एक बूढ़े भिखारी ने चार आने मांगे। उसकी दशा अति दयनीय थी, पेट पीठ से लगा जा रहा था, वस्त्र चीथड़े हो गए थे, आंखें दुर्बलता से अब बुझीं, तब बुझीं, ऐसी मालूम होती थीं।
मुल्ला नसरुद्दीन ने उससे कहा, बड़े मियां, चार आने से क्या होगा ? चार आने में कुछ आता भी तो नहीं-खाक भी नहीं मिलती चार आने में! चार आने से क्या खरीदोगे? यह लो पांच रुपए का नोट ले लो।
लेकिन बूढ़ा भिखमंगा पीछे हट गया, उसने कहा कि नहीं साहब, चार आने काफी हैं; क्योंकि इतने राजनीतिज्ञों से भरी दिल्ली में पांच रुपए जैसी बड़ी रकम लेकर चलना खतरे से खाली नहीं है ।
सब बेईमान, सब अपराधी, सब तरह के चालबाज राजधानियों में इकट्ठे हो जाते हैं। जिस दिन दुनिया में राजधानियां न होंगी, दुनिया बड़ी बेहतर होगी । और जिस दिन दुनिया में राजनीतिज्ञ न होंगे, दुनिया बड़ी स्वस्थ होगी। जिस दिन दुनिया से राजनीति हट जाएगी, उस दिन दुनिया में धर्म होगा।
धर्म बिलकुल उलटी यात्रा है। धर्म का अर्थ है, मैं अपना मालिक हो जाऊं । और राजनीति का अर्थ है, मैं दूसरों का मालिक हो जाऊं। धर्म का अर्थ है, मैं अपने भीतर जाऊं। राजनीति का अर्थ है, बाहर मेरा राज्य फैले । धर्म भीतर के राज्य की खोज है और राजनीति बाहर के राज्य की खोज है। धन बाहर है, पद बाहर है, राजनीति उसमें उत्सुक है। ध्यान भीतर है, परमात्मा भीतर है, धर्म उसमें उत्सुक है। धर्म अंतर्यात्रा है, राजनीति बहिर्यात्रा ।
तो जब मैं कहता हूं, राजनीतिज्ञ धार्मिक नहीं हो सकता, तो बड़ी सीधी सी बात है - जो बाहर की यात्रा पर गया है, वह कैसे साथ ही साथ भीतर की यात्रा पर जा सकता है? भीतर की यात्रा पर जाने के लिए अनिवार्य चरण है कि बाहर की यात्रा रुके। बाहर की यात्रा समाप्त हो, बंद हो। क्योंकि वही ऊर्जा, जो बाहर जा रही है,
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