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________________ एस धम्मो सनंतनो पांचवां प्रश्न ः मेरे पति को तमाखू खाने की आदत है। वे उसे कैसे छोड़ें? पूछा है गीता ने । पहली तो बात, किसी दूसरे की आदतें छुड़ाना कोई सज्जनता नहीं। दूसरे को समझने दो। तुम्हारे पति में बुद्धि है, इतना तो मानो । पूछना हो तो पति को पूछने दो। दूसरे को बदलने की चेष्टा में थोड़ी कठोरता है। दूसरे को बदलने की चेष्टा में थोड़ी तरकीब है, थोड़ी राजनीति है । दूसरे को बदलने के आधार पर हम दूसरे पर मालकियत करना शुरू कर देते हैं। तो पहली तो बात, दूसरे को बदलने की कोशिश कोई अच्छे आदमी का लक्षण नहीं है। इसलिए तुम्हारे महात्माओं को मैं कोई अच्छे आदमी नहीं कहता । तुम्हारे महात्मा आमतौर से दुष्ट प्रकृति के लोग होते हैं, जिन्होंने तरकीबें खोज ली हैं दूसरों को सताने की— छोटी-छोटी तरकीबें, निर्दोष बातें । अब कोई आदमी तमाखू खा रहा है, इसके कारण उसको नरक भेजने का उपाय करने वाले लोग बैठे हैं। कुछ तो करुणा न करो, कम से कम न्याय तो करो ! एक आदमी ने तमाखू खा ली, उनको नरक भेज दिया। इसका मतलब तरु नरक जाएगी! तमाखू खाने से कोई नरक नहीं जाता। और अक्सर ऐसा होता है कि तमाखू नहीं खायी तुमने और बड़े अकड़ गए कि देखो, मैं तमाखू नहीं खाता, तो शायद नरक चले जाओ। क्योंकि अकड़ नरक ले जाती है। तमाखू खाने वाला तो थोड़ा-थोड़ा झुका रहता है कि तमाखू खाते हैं, क्या करें! ज्यादा अकड़कर चल भी नहीं सकते, पता है कि तमाखू खाते हैं, कि सिगरेट पीते हैं, कि चाय पीते हैं, कि काफी में भी लगाव है, कि कभी-कभी कोकाकोला में भी रस आ जाता है। तो वह तो जरा झुका-झुका चलता है, वह तो विनम्र होता है, वह कहता है, अब हम तो अधार्मिक आदमी! जो कोकाकोला नहीं पीता, तमाखू नहीं खाता, सिगरेट नहीं पीता, पान नहीं खाता, उसकी अकड़ ! मगर जरा देखो भी तो, अकड़ में है क्या! पान नहीं खाया, यह अकड़ है; तमाखू नहीं खायी, यह अकड़ है। अरे, अकड़ना ही था तो कुछ तो मतलब की बात चुनते ! कुछ तो सोचकर चुनते ! यह कोई गुण है ! दूसरे को बदलने की चेष्टा एक साजिश है। इसके माध्यम से तुम अपने को ऊपर मान लेते हो, दूसरे को नीचे मान लेते हो। और छोटी-छोटी बातें खोजकर, छोटे-छोटे निमित्त निकालकर तुम दूसरे को क्षुद्र बताने लगते हो। अब यह गीता पूछती है कि 'मेरे पति को तमाखू खाने की आदत है, वे उसे कैसे छोड़ें?' 60
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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