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एस धम्मो सनंतनो
कानून था कि उसे छह महीने की सजा होनी चाहिए। उसने कहा कि ठीक है, छह महीने की सजा इस आदमी को जिसने चोरी की और छह महीने की सजा इस आदमी को जिसकी चोरी की। वह अमीर तो हंसने लगा, उसने कहा, आपका दिमाग ठीक है ? एक तो मेरी चोरी हुई और छह महीने की सजा भी ! आप कह क्या रहे हैं, होश हैं? उसने कहा, मैं होश में हूं। और छह महीने की सजा कम है, यह भी मुझे पता है। तुम्हें सजा मिलनी चाहिए कम से कम छह साल की।
बात सम्राट तक पहुंची। पहुंचनी ही थी, अमीर ने तो बड़ा गुहार मचाया, उसने कहा, यह किस तरह का न्याय है! सम्राट भी हैरान हुआ कि यह किस तरह का न्याय है! फकीर को बुलाया और कहा कि यह किस तरह का न्याय है?
उसने कहा, यह न्याय है । ठीक तो नहीं है, क्योंकि छह महीने की सजा कम है। इस आदमी ने सारे गांव का धन इकट्ठा कर लिया है, अब चोरी न होगी तो क्या होगा ! यह आदमी चोर से भी पहले चोरी के लिए जिम्मेवार है। चोर तो नंबर दो का जुर्मी है, यह नंबर एक का जुर्मी है। इसने सारा धन इकट्ठा कर लिया गांव का । पूरा गांव भूखा मर रहा है और सब इसके पास है।
सम्राट ने कहा, बात तो ठीक है, लेकिन खतरनाक है। इसका तो मतलब हुआ कि मैं भी, कल नहीं परसों, तुम्हारी अदालत में फंस जाऊंगा। तुम छुट्टी लो, तुम विदा हो जाओ।
इसमें करुणा है। एक महत्वपूर्ण सत्य यह फकीर सामने ले आया। इसने हार्दिक ढंग से सोचा ।
न्याय में और करुणा में समन्वय तो नहीं हो सकता, क्योंकि न्याय बहुत नीचे तल की बात है, करुणा बहुत ऊपर तल की बात है, लेकिन न्याय की परिपूर्णता करुणा में है। न्याय वह, जो आवश्यक है; करुणा वह, जो होनी चाहिए। न्याय, बस अनिवार्य है; करुणा, न्याय की परिपूर्णता है। करुणा में न्याय अपनी प्रखर ज्योति को उपलब्ध होता है।
इसे ऐसा समझो, कठोरता से अन्याय पैदा होता है। तो कठोरता में बीज है अन्याय का । कठोर आदमी अन्यायी हो ही जाएगा। कठोरता में बीज है, अन्याय के फल लगेंगे। फिर न्याय में बीज छिपा है करुणा का । न्यायी आदमी एक न एक दिन करुणावान हो ही जाएगा - हो ही जाना चाहिए, नहीं तो बीज बीज रह गया, वृक्ष न बन पाया। बीज और वृक्ष में कोई समन्वय नहीं है, क्योंकि बीज एक तल की बात है, वृक्ष बिलकुल दूसरे तल की बात है। बीज अनभिव्यक्त और वृक्ष अभिव्यक्त। दोनों में बड़ा फर्क है।
तुम्हारे सामने कोई बीज रख दे एक – और सामने ही यह गुलमोहर का फूलों से लदा हुआ वृक्ष है, और गुलमोहर का बीज तुम्हारे सामने रख दे और तुमसे कहे कि इस बीज में और इस वृक्ष में क्या संबंध है ? कोई संबंध नहीं दिखायी पड़ता ।
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