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एस धम्मो सनंतनो
तो उन भिक्षुओं ने लौटकर यह सारी बात भगवान को कही। भगवान ने कहा, ऐसा ही है भिक्षुओ! जैसा नहीं होना चाहिए वैसा ही हो रहा है। इसका नाम ही तो संसार है।
जैसा होना चाहिए वैसा ही हो, इसका नाम निर्वाण। वही तो परमदशा है। जैसा होना चाहिए वैसा ही हो। और जैसा नहीं होना चाहिए वैसा जहां होता रहे, उसी का नाम संसार है। यह एक मूछित जगत, यह एक निद्रा में डूबी हुई अवस्था है। यह एक दुख-स्वप्न है।
और तब उन्होंने ये दो गाथाएं कहीं। 'विचार किए बिना यदि कोई धर्म-निर्णय (न्याय) करता है, तो वह धर्मस्थ नहीं, न्यायाधीश नहीं।
तो पहले तो विवेक उपलब्ध हो, विचार उपलब्ध हो; पहले तो ध्यान की शांति जगे, देखने की क्षमता आए, दृष्टि हो, निष्पक्ष देखने की दृष्टि हो, तभी कोई धर्मस्थ। तो पहले तो कोई धर्मस्थ हो, तब धर्म कर सकेगा। पहले तो स्वयं न्याय में ठहरे, तब न्यायाधीश हो सकेगा।
'जो पंडित अर्थ और अनर्थ न्याय और अन्याय—दोनों का निर्णय कर विचार, धर्म और समत्व के साथ न्याय करता है...।' __जिसे पता है, क्या सार, क्या असार; जिसे पता है, क्या न्याय, क्या अन्याय,
और जो अपने भीतर समत्व को धारण किए हुए है, वही केवल न्याय कर सकता है। तो न्याय के लिए तो समत्व अनिवार्य शर्त है। और समत्व समाधि का लक्षण है। '
कभी शायद मनुष्य-जाति उस ऊंचाई पर आएगी, जब न्यायाधीश होने के लिए समाधि अनिवार्य होगी। और जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक कभी न्याय संभव नहीं है। तब तक न्याय के नाम पर अन्याय ही चलता है। बलशाली का अन्याय न्याय कहलाता है। बलशाली मारता है तो रोने भी नहीं देता। रोओ तो जुर्म। बलशाली मारे तो हंसो, प्रसन्न होओ।
जर्मनी का एक सम्राट था, फ्रेडरिक। उससे लोग बहुत डरते थे। क्योंकि वह किसी को भी मारने-पीटने लगता था। हाथ में कोड़ा रखे रहता था, जरा सी बात से कोड़े फटकार देता था। अजीब आदमी था। बलशाली तो बहुत था ही। सड़क पर घूमने निकलता, किसी को गलती कोई काम करते देख लेता तो वहीं मारपीट कर देता। अब सम्राट से तो कोई क्या कहे! लोग डरते थे, उसको देखकर लोग दरवाजा बंद कर लेते। कोई आ रहा होता रास्ते पर, जल्दी से बगल की गली से निकल जाते कि कोई भूलचूक हो जाए! कुछ कहो मत, नमस्कार करने ही में कुछ भूलचूक हो जाए।
एक आदमी को उसने देखा-एक सांझ वह घूमने निकला है-उसने देखा, एक आदमी चला आ रहा था, फिर जल्दी से गली में चला गया। वह भागा, उसने पकड़ा कि तू गली में क्यों गया? तू पहले तो सीधा चला जा रहा था। उसने कहा,
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