SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो से भी मार्ग मिल जाएगा। मगर ध्यान यह रहे कि सच में तुम आलसी हो? ऐसा हुआ जापान में। एक सम्राट बहुत आलसी था। और स्वभावतः उसे लगा कि मैं तो सम्राट हूं, आलसी हूं, कुछ अड़चन नहीं आती, जो दीन हैं और दरिद्र हैं और आलसी हैं, उनको बड़ी मुश्किल आती होगी। उसने सोचा कि अगर मैं सम्राट न होता तो मैं कितनी मुश्किलों में पड़ता, न मैं कमाता, न कमा सकता हूं-उठता ही नहीं था अपने बिस्तर से, अक्सर तो आंखें ही बंद किये पड़ा रहता था। भोजन कर लिया, फिर सो गया। फिर उठ गया, फिर भोजन कर लिया, फिर सो गया। तो उसने सोचा, मैं तो सम्राट हूं, ठीक है—ऐसा पड़े-पड़े याद आयी होगी कि और भी होंगे आलसी इस देश में, उन बिचारों पर क्या बीतती होगी! उनको तो काम करना ही पड़ता होगा। तो उसने सोचा कि जब ऐसा मौका आया है कि एक आलसी सम्राट हो गया है तो और आलसियों को भी राज्य की तरफ से सुविधा मिलनी चाहिए।. स्वाभाविक। उसने अपने वजीरों को बुलाकर कहा कि खोज की जाए, जो भी आलसी हों, सबको राज्याश्रय दिया जाए। जापान में डुंडी पीट दी गयी कि जो भी आलसी हों, उनको राज्याश्रय मिलेगा। कतारबद्ध लोग आने लगे। एक-दो नहीं, हजारों आने लगे। वंजीर तो बहुत घबड़ाए, उन्होंने कहा, इतनों को राज्याश्रय देंगे तो खजाना खाली हो जाएगा। इनको अगर राज्याश्रय दिया तो थोड़े दिन में राजा भी निराश्रित हो जाएंगे। यह तो मामला खतरा है। तो उन्होंने सम्राट से कहा कि यह तो बड़ी अड़चन की बात है, इतने लोगों को राज्याश्रय दिया नहीं जा सकता, यह तो ऐसा लगता है कि सभी चले आ रहे हैं। कौन चूके यह मौका! अगर सिर्फ यही कहने से कि मैं आलसी हूं और राज्य का आश्रय मिलता हो, तो कौन चूकेगा! जो कर्मठ थे वे भी चले आ रहे हैं। तो सम्राट ने कहा, कुछ उपाय करो। वजीरों ने कहा, उपाय हम करेंगे, आपकी आज्ञा चाहिए। जो-जो लोग आए थे-हजारों की संख्या थी-उनके लिए घास के झोपड़े बनवा दिये राजमहल की भूमि पर और उनसे कहा, सब ठहर जाओ। परीक्षा होगी, परीक्षा से जब तय हो जाएगा कौन आलसी है, उसको ही राज्याश्रय मिलेगा। और आधी रात में आग लगवा दी। घास-फूस के झोपड़े थे, भभककर जल उठे। भागे लोग निकलकर। सिर्फ चार आदमी न भागे। वे चार तो अपना कंबल ओढ़कर सो गये। लोगों ने उनसे कहा भी कि भागो, आग लगी है। उन्होंने कहा, जाओ भी, नींद खराब न करो! ___ उन चार को वजीरों ने चुना कि ये आलसी हैं। बाकी को तो भगा दिया, निकाल बाहर किया कि तुम भागो, यह कोई आलसी होने की बात हुई! आग लगी देखी तो भाग खड़े हुए! ये हैं आलसी। इन्होंने और कंबल ओढ़ लिया। इन्होंने कहा, भई, अब गड़बड़ न करो, अभी नींद में बीच रात खराब न करो। अब लगी है तो लगी रहने दो, अगर किसी को निकालना हो तो निकाल लो, खींच लो। उनको खींचकर 300
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy