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________________ एस धम्मो सनंतनो की कोशिश करो, कुछ करना नहीं है। न उपवास करना है, न शरीर को गलाना है, न सताना है, न नंगे खड़े होना है, न धूप-ताप सहनी है, यह सब व्यर्थ की बातों में कुछ सार नहीं है। यह दुष्टता अपने पर बंद करो। इतना ही समझने की कोशिश करो कि यह जीवन क्या है, और यह मेरे भीतर जो जीवन की इतनी प्रगाढ़ वासना है, यह क्या है, इस पर ध्यान करो। नयी वासना मत करो स्वर्ग की, क्योंकि नये नाम से पुरानी ही वासना चलेगी। तुम तो पुरानी ही वासना को ठीक से समझ लो कि वासना क्या है? जब तुम वासना का ठीक साक्षात्कार करोगे, वासना गिर जाती है। वासना को देखने में ही दिख जाता है कि वासना में सिवाय दुख के बीजों के और कुछ भी नहीं है। वासना गिर गयी, उस दशा का नाम मोक्ष है। ___ अब तुम फर्क समझ लेना। मोक्ष की कोई वासना नहीं होती। वासना के गिर जाने के बाद जो चित्त की मुक्त दशा होती है, उसका नाम मोक्ष है। निर्वाण को कोई चाह नहीं सकता। क्योंकि तुम जो भी चाहोगे वह संसार हो जाएगा। चाह मात्र संसार की निर्मात्री है। ___ तो ईश्वर भाई की मां चाहती रही होंगी—आमतौर से यही हो रहा है, इस तथाकथित धार्मिक देश में यही हो रहा है, लोग चाह रहे हैं। और लोग बड़ी योजना बना रहे हैं। और लोग यह भी मन-मन में हिसाब लगा रहे हैं कि देखो, हमने इतने सुख नहीं भोगे, हमें इसका बदला खूब मिलेगा, अच्छा मिलेगा, पुरस्कार मिलेगा। लोग अपने को दंड दे रहे हैं और प्रतीक्षा कर रहे हैं कि हमारे खाते-बही में इतना पुण्य लिखा जा चुका। बड़ी आतुरता से, उत्सुकता से राह देख रहे हैं कि कब द्वार खुले ईश्वर का, कब परमात्मा के घर पहुंचें; स्वर्ग कहो, मोक्ष कहो, जो भी तुम्हें नाम देना हो, कब वहां पहुंचें कि अपनी फेहरिश्त रख देंगे निकालकर—इतने व्रत किये, इतने उपवास किये, इतने मंत्र पढ़े, इतना नमोकार की जाप की, इतना-इतना-इतना, सारी फेहरिश्त निकालकर रख देंगे कि लाओ बदला। यह नयी वासना हो गयी। यह शराब पुरानी रही, बोतल नयी है। बोतल बदलने से कुछ भी न होगा। पहले संसार की मांग करते थे, अब स्वर्ग की मांग करने लगे; पहले यहां सुख चाहते थे, अब वहां सुख चाहने लगे, मगर कुछ भेद न हुआ, कोई चित्त की क्रांति न हुई। चित्त की क्रांति तो एक ही बात से होती है कि तुम वासना का स्वभाव समझो। चाह मात्र दुख लाती है—चाह मात्र। मुझे दोहराने दो, चाह मात्र दुख लाती है। मोक्ष की चाह भी दुख लाती है। चाह का स्वभाव दुख लाना है। इसलिए चाह को समझकर चाह से मुक्त हो जाना है। मोक्ष की कोई कामना नहीं होती। कामनारहितता मोक्ष का द्वार है। ___ मगर यह कठिनाई ईश्वर भाई की मां के लिए ही हो, ऐसा नहीं, इस देश में करोड़ों लोगों की है, तथाकथित धार्मिक लोगों की। फिर मौत के समय अड़चन आती है। फिर मौत के समय सारा जीवन बदला मांगता है, प्रतिशोध मांगता है। मौत 288
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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