SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 271
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो देख-देख आता था, चक्कर मार आता था। जिनके पास है, वे कहां सो पाते हैं! जिनके पास नहीं है, वे चाहे शांति से सो भी जाएं: जिनके पास है, वे तो सो ही नहीं पाते। रात कई बार अपनी वसनी को पकड़ लेता होगा, फिर देख लेता होगा कि कोई चोरी तो नहीं हो गयी, कोई झंझट तो नहीं हो गयी। रातभर गणित बिठाता होगा कि कल कैसी बिक्री करनी, कहां बिक्री करनी; उन गाड़ियों में ही उसका सारा संसार था। आज बात बदल गयी। बात बदलती है तो ऐसे ही बदलती है। आज सारी चाल बदल गयी, जीवन का ढंग बदल गया। अब तक उसने बुद्ध की तरफ न देखा था, अब जब बुद्ध की तरफ देखा तो गाड़ियों की तरफ न देखा। उसके नौकर-चाकर भी आए, उसके सेवक आए, उसके मुनीम आए। उन्होंने कहा, मालिक, आपको क्या हो गया है? आप लौट चलें, बाजार जाने का समय हो गया, ग्राहक प्रतीक्षा करते होंगे, धंधे के दिन हैं, आप यहां क्या कर रहे हैं? वह हंसता था। वह कहता था, तुम जाओ, तुम्हीं फिकर लो। तुम मुझे भूल जाओ, समझो कि मैं मर ही गया। समझो कि मैं नहीं हूं। तुम्हें जैसा करना हो कर लो, बांट लेना, मेरा अब कोई उस पर आग्रह नहीं रहा। खबर पहुंची होगी नौकर-चाकरों में कि मालिक मालूम होता है पागल हो गया, लगता है कि इस बुद्ध की बातों से सम्मोहित हो गया। किसके चक्कर में पड़ गया! बड़े चिंतित हए होंगे, सब तरह समझाने-बझाने का उपाय किया होगा। लेकिन जिसके द्वार पर मौत खड़ी हो, अब संसार का कोई तर्क उसे जंचता नहीं। सात दिन बाद मरना ही है, सात दिन बाद ये गाड़ियां पड़ी ही रह जाएंगी और सात दिन बाद इन गाड़ियों में भरे सामान का क्या होगा? तो अभी हो जाए। __ जिसे मौत का ठीक-ठीक स्मरण हो जाता है उसके जीवन में क्रांति आती है। मौत बड़ी क्रांतिकारी घटना है। हमें तो याद नहीं आती मौत की। हम तो अगर कभी ज्योतिषी के पास जाते भी हैं तो यह नहीं पूछने जाते कि कब मरेंगे, यह पूछने जाते हैं कि कहीं मौत आसपास तो नहीं है! जरा दूर है, तो चलो! हम तो हाथ भी दिखाते हैं तो इसी आशा में कि लंबी उम्र। हमारी प्रार्थनाएं लंबे आयुष्य के लिए होती हैं। ताकि थोड़ी देर इन गाड़ियों में, इन सामानों में, इन महलों में, इस धन-संपत्ति में और थोड़े डूबे रहें। इस कीचड़ में थोड़े और डुबकियां लगा लें। नहीं, उस युवक ने कहा कि तुम जाओ, तुम आओ मत, बात खतम हो गयी; मैं वही आदमी नहीं हूं जो तुम्हारा मालिक हुआ करता था। वह आदमी मर गया। जिसको मरना ही है, वह मर ही गया। यह दूसरा ही आदमी है। ___ वह दिनभर बुद्ध के चरणों में बैठा रहता। रात बुद्ध सो जाते तो भी उनके चरणों में बैठा रहता। जिसकी मौत करीब आ रही है, उसके पास समय खोने को कहां है? जितना बुद्धत्व पी लो, उतना बेहतर। जिसकी मौत ने संदेश भेज दिया हो, अब सोने की भी 258
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy