SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 269
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो में बड़ी पतली सूक्ष्म रेखा पर जीना है। ___ यह भी तुमने खयाल किया कि काल मौत का भी नाम है और काल समय का भी नाम है। भाषाएं ऐसे ही नहीं बनती। भाषाओं में एक-एक संस्कृति का पूरा-पूरा अनुभव संजोया होता है। दुनिया में बहुत भाषाएं हैं, लेकिन किसी भाषा में मौत और समय का एक ही नाम नहीं है। सिर्फ इस देश की भाषा में मौत और समय के लिए एक ही नाम है। क्यों? क्योंकि इस देश के मनीषियों ने बार-बार यह अनुभव किया कि समय यानी मौत। इसलिए दोनों को एक नाम दिया है, ताकि याद रहे। वर्तमान समय का हिस्सा ही नहीं है। वर्तमान है जीवन। ___ एक बात और खयाल ले लेना। हम आमतौर से सोचते हैं कि समय तीन खंडों में विभाजित है—अतीत, वर्तमान, भविष्य। यह बात गलत है। समय तो दो खंडों में विभाजित है-अतीत और भविष्य। वर्तमान समय का हिस्सा नहीं है। वर्तमान शाश्वत का हिस्सा है। वर्तमान से तो शाश्वत झांकता है। वर्तमान समय का भाग नहीं है। इसलिए जो वर्तमान में ठहर गया, वह शाश्वत में ठहर गया। उसने शाश्वत का अनुभव पा लिया। वर्तमान में ठहर जाने को हम समाधि कहते हैं। समाधान मिल गया। विचारों का उत्पात गया, विचार की समस्याएं गयीं, उलझनें गयीं। ___ तो बुद्ध ने कहा, बुद्धिमान को भविष्य के सपनों में नहीं उलझना चाहिए। भविष्य में मौत के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। न सुंदर स्त्रियां बचाएंगी और न धन और न पद और न तेरे संगमरमर के महल। मृत्यु के समय तो समाधि ही विजय लाती है। मृत्यु को समाधि से जीतकर अमृत की उपलब्धि करनी होती है। ___ एक ही चीज जीतती है समय को-समाधि। एक ही चीज जीतती है समय को-समय के पार का अनुभव, समय के बाहर की कोई किरण। समय निद्रा है। जागरण की किरण, होश की किरण समय को जीत लेती है। और जिसने समय को जीत लिया उसने मृत्यु को भी जीत लिया, क्योंकि वे दोनों एक ही हैं। वे एक-दूसरे के पर्याय हैं। समय का जोड़ मृत्यु है। समय मृत्यु के आने का ढंग है। ___ तुम जिस दिन पैदा हुए उसी दिन से मर रहे हो। हालांकि तुम इसको जीवन कहते हो। जिस दिन से पैदा हुए उस दिन से सिवाय मरने के और तुमने कुछ भी नहीं किया है। एक बात सतत हो रही है कि तुम मर रहे हो, मरते जा रहे हो। एक दिन बीता, एक दिन और मर गए। एक वर्ष बीता, एक वर्ष और मर गए। तुम हर वर्ष जन्म-दिन मनाते हो, उसे जन्म-दिन नहीं कहना चाहिए, उसे मृत्यु-दिन कहना चाहिए। क्योंकि जन्म तो उससे दूर होता जा रहा है, मृत्यु करीब आ रही है। एक वर्ष और मर जाता है, तुम उसको जन्म-दिन कहते हो? तुम एक वर्ष और मर चुके। अब तुम्हारी जिंदगी और थोड़ी बची। तुम्हारा और एक हिस्सा मर गया। अब तुम उतने जीवित नहीं हो जितने एक वर्ष पहले थे। जैसे ही बच्चा मां के पेट से पैदा हुआ, मरना शुरू हो गया। सत्तर साल लगेंगे मौत को आने में, धीरे-धीरे आती है, लेकिन 256
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy