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________________ आचरण बोध की छाया है बुद्ध ने मार्ग तो तय कर लिया पहले। एक मार्ग तय कर लिया विपस्सना का, ध्यान का, अब देखा एक स्त्री आयी, अब वह जानते हैं कि स्त्री को यह जमेगा नहीं और मेरे मार्ग को स्त्री नहीं जमेगी, तो वह बचाव की कोशिश करते रहे। अगर बुद्ध स्वयं भी नारद के पास गए होते तो नारद भी कह देते कि महाशय, क्षमा करो, आप नहीं चलेंगे। आप किसी परशुराम को खोजो। पुरुष का यहां क्या काम? यहां वीणा बज रही है, यहां भजन गाया जा रहा है, यहां आपका नहीं चलेगा। आप ठहरे क्षत्रिय, आप कहीं और जाइए, जहां तलवार चलाने की सुविधा हो।। बुद्धि का मार्ग संघर्ष और संकल्प का मार्ग है। योद्धा का मार्ग है। हृदय का मार्ग गीत और गुंजन का। संकल्प का नहीं, संघर्ष का नहीं, समर्पण का, आस्था का, श्रद्धा का मार्ग है। मेरे लिए दोनों बराबर हैं। मैं तुम्हें देखता हूं कि तुम किस मार्ग से जा सकोगे। और यह भी तुमसे कह दूं कि ऐसा जरूरी नहीं है कि तुम पुरुष देह में हो, इसलिए सदा ही तुम्हें पुरुष का मार्ग जंचेगा। इससे कुछ बंधन नहीं है। कभी-कभी पुरुष-देह में बड़े कोमल हृदय होते हैं। और कभी-कभी स्त्री-देह में बड़े पुरुष हृदय होते हैं। ___ अब जैसे मैडम क्यूरी को नोबल प्राइज मिल सकती है। तो मैडम क्यूरी को नारद का मार्ग नहीं जंच सकता था, बुद्ध का जंचेगा। अब जिसको नोबल प्राइज मिली हो, जिसके पास गणित का ऐसा साफ-सुथरा मस्तिष्क हो, विचार की ऐसी क्षमता हो, इसको बुद्ध का मार्ग जमेगा। यह मीरा की तरह बावली होकर नाच न सकेगी। संभव नहीं। ___अब रामकृष्ण हैं, पुरुष हैं, लेकिन फिर भी बुद्ध का मार्ग न जमेगा। इनके भीतर स्त्रैण हृदय है। तुम चकित होओगे यह जानकर कि रामकृष्ण इतने स्त्रैण थे, इतना नाच-गान, इतनें गीत में लीन रहे कि उनके स्तन बड़े हो गए थे। और इतना ही नहीं, एक बार जब वह एक विशेष सखी-संप्रदाय की साधना कर रहे थे, तो उनको मासिक धर्म शुरू हो गया था, यह शायद तुमने सुना भी न हो। स्तन बड़े हो गए और मासिक धर्म शुरू हो गया था। और छह महीने तक जारी रहा। और स्तन तो उनके फिर जो बड़े हो गए तो, छोटे तो हो गए बाद में जब साधना उन्होंने बंद कर दी, लेकिन वे फिर भी कुछ तो बड़े रहे ही। तुम्हें रामकृष्ण की तस्वीरों से पता चल जाएगा। ऐसा हार्दिक चित्त था। मीरा जैसा ही कोमल। तो इसलिए यह मत समझना कि पुरुष सभी पुरुष हैं और स्त्रियां सभी स्त्रियां हैं। इतना आसान होता मामला तो गुरु की कोई जरूरत ही नहीं थी। तब तो बात तय हो गयी। तब तो तुम्हारे बायलाजी से बात तय हो गयी। तुम्हारा स्त्री शरीर है, तुम्हारा पुरुष शरीर है, बात खतम हो गयी। पुरुष चले बुद्ध के मार्ग पर, स्त्रियां चली जाएं नारद के मार्ग पर, बात खतम हो गयी। मगर इतना आसान नहीं है। बहुत पुरुष हैं जो स्त्रियों से भी ज्यादा कोमल हैं, 245
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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