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________________ एस धम्मो सनंतनो विक्षिप्त है, उलटा सुझाता है। खोपड़ी, सभी खोपड़ियां उलटी खोपड़ियां हैं। यहां मामला ही उलटा होता है। ____ इसलिए इससे बड़े सावधान रहना। कठिन में बड़ा आकर्षण मालूम होता है कि चलो दिखा दें करके। और अहंकार को तृप्ति मिलती है, अहंकार मजबूत होता है। और जिस चीज से अहंकार मजबूत होता है, उससे परमात्मा दूर होता है। प्रेमी को तो पता ही नहीं चलता कि प्रेम में कोई कठिनाई है। ध्यांनी को पता चलता है। जब ध्यानी देखता है प्रेमी को, तो वह सोचता है, कितना कठिन मामला! ध्यानी को पता नहीं चलता ध्यान में कोई कठिनाई है, प्रेमी को पता चलता है। यह छोटी सी कहानी सुनो। प्रेमा पंजाब से है, यह कहानी भी पंजाब की है। एक फकीर था, वह सड़कों पर चिल्लाता फिरता था—ईश्वर ले लो, नाम ले लो। नाम को तो नानक ने बड़ा मूल्य दिया, नाम को तो ईश्वर का पर्याय कहा। बस नाम ही सब कुछ है। तो वह फकीर चिल्लाता था—ईश्वर ले लो, नाम ले लो। नाम नाम का पंजाब में एक गहना भी होता था, एक आभूषण। इस आभूषण के कारण एक महाशय ने समझा कि वह उस आभूषण को बेचना चाहता है। वे उसके घर का पता लगाकर पहुंचे। उनकी लड़की की शादी होने वाली थी, वह उस आभूषण को खरीदना चाहते थे। ___ फकीर घर पर नहीं था, उसकी छोटी लड़की थी। इन साहब ने उससे कहा कि मैं नाम खरीदना चाहता हूं, तुम्हारे पिता कहां हैं? लड़की ने कहा, उनकी क्या जरूरत है, आप मूल्य चुकाने को तैयार हों तो मैं ही नाम दे दूंगी। लड़की भीतर गयी और छुरी पर धार रखने लगी। उसने पिता के मुंह से सुन रखा था कि ईश्वर को पाना हो तो खुद का जीवन देना होता है। इससे ही वह छुरी पर धार रख रही थी कि इन साहब को अपना जीवन दान करना पड़ेगा, तो छरी तैयार कर दं। इधर साहब को देर लगती देखकर बेचैनी होने लगी, उन्होंने खिड़की से झांककर देखा और कहा, लड़की क्या कर रही है? मैं खड़ा हूं, जल्दी नाम दे दो। उस लड़की ने कहा, ठहरो, अपना सिर भी तो देना होगा। उसके लिए ही इस छुरे पर धार रख रही हूं। यह सुन साहब गुस्से से भर गए। शोरगुल सुन मोहल्ले के लोग भी इकट्ठे हो गए। उन महाशय ने कहा, मैं इन बदमाशों को पुलिस में दूंगा। लड़की मेरी हत्या करना चाहती है। . इसी बीच लड़की का पिता भी आ गया। उसने स्थिति समझी और बोला, पागल लड़की, ईश्वर की इतनी सस्ती कीमत! नाम लेना है तो हजारों जीवन देने होते हैं, एक जीवन देने से क्या चलेगा! नाम लेना हो तो हजारों जीवन खोने पड़ते हैं, एक जीवन खोने से क्या चलेगा! और आप जनाब, एक ही गर्दन देने से घबड़ा गए और पुलिस में जा रहे हैं। ___ अब जाकर लोगों को समझ में आया कि नाम का क्या अर्थ है! उस फकीर ने अंत में कहा कि ईश्वर इसीलिए ही आज नहीं मिलता, क्योंकि मेरी बच्ची जैसे सस्ते 242
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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