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एस धम्मो सनंतनो
एक दफे तो उसे भी खयाल आया होगा कि कहीं बहुमूल्य न हो! मगर बहुमूल्य हीरे ऐसे सड़कों के किनारे थोड़े ही पड़े रहते! तो मान लिया होगा कि रंगीन पत्थर है। लेकिन भीतर कहीं कुछ बात तो लगी होगी। जब इस सवार ने कहा कि हीरा है, बस एक क्षण में चोट पड़ गयी। लेकिन बाहर की आंख खुली थीं।
समझो कि यह युवक अंधा होता और सवार कहता कि हीरा है, तो भी यह कहता, क्यों मजाक करते हो! एक तो यह सड़क, यहां कहां से हीरे आते हैं! फिर मैं अंधा, मुझ अंधे के हाथ कहां से हीरे लगते हैं ! इतने आंख वाले गुजर रहे हैं, कोई भी उठा लिया होता! और फिर अंधा कहता कि मुझे तो कुछ पता नहीं चलता कि हीरा है कि पत्थर है। पत्थर ही मालूम होता है, क्योंकि वजनी मालूम होता है।
वह तो भला था कि उसकी आंख खुली थीं, अंधा नहीं था। लेकिन भीतर के संबंध में तो हम सब अंधे हैं, उस तरफ तो हमने आंख खोली नहीं है, वहां तो आंख बंद है। उस भीतर की आंख खोलने का नाम ध्यान है।
___ ध्यान की आंख खुल जाए तो गुरु के वचन तत्क्षण ऐसे तुम्हारे भीतर उतर जाते हैं, जैसे तीर चला जाए और ठीक हृदय पर चुभ जाए। मगर ध्यान रखना, फिर भी मैं कहता हूं, गुरु के वचन। ध्यान के बाद भी शास्त्र के वचन काम नहीं करेंगे, ध्यान के बाद भी गुरु के वचन काम करेंगे। क्यों? क्योंकि जब गुरु बोलता तो सिर्फ बोलता ही नहीं, उस बोलने के पीछे गुरु के होने का बल होता है।
नानक ने एक अपूर्व धर्म को जन्म दिया-सिक्ख-धर्म। सिक्ख शब्द बड़ा प्यारा है, यह आता है शिष्य से। जो सीखना जानता है। जो सीखने में कुशल है। शिष्य का रूपांतरण है सिक्ख। फिर नानक का धर्म दस गुरुओं तक तो जीवंत रहा, फिर मुर्दा हो गया। जिस दिन गुरु की जगह गुरुग्रंथ रख दिया गया, उसी दिन धर्म मुर्दा हो गया। उसके बाद ज्योति चली गयी।
किताब गुरु नहीं हो सकती। चाहे किताब में गुरुओं के वचन ही संग्रहीत क्यों न हों। किताब कितनी ही प्यारी हो, फिर भी किताब गुरु नहीं हो सकती। किताब तुम्हें जगा नहीं सकती, खुद ही सोयी पड़ी है। किताब तुम्हें जीवंत नहीं कर सकती, खुद ही मुर्दा है। कितने ही बहुमूल्य वचन किताब में भरे हों, किताब में लिखा हो-उठो, जागो और तुम सोए हो और घुर्रा रहे हो और किताब पास में ही रखी है, तो क्या होगा! तुम घुर्राते रहोगे, किताब भीतर चिल्लाती रहेगी-उठो, जागो, मगर तुम्हें सुनायी भी न पड़ेगा। . ____कोई जीवित व्यक्ति चाहिए जो तुम्हें हिला दे, झकझोर दे, कि तुम्हारे मुंह पर पानी फेंक दे, कि तुम्हारी आंखें हाथ से खोल दे और कहे-उठो, जागो! जो तुम्हारे सपने तोड़ दे! यह किताब तो न कर सकेगी।
ध्यान से भीतर की दृष्टि धीरे-धीरे खुलनी शुरू होती है। और ध्यानपूर्वक गुरु का वचन सुना गया हो, तो पहचान में आ जाता है, हीरा क्या है। तत्क्षण मुट्ठी बंद
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