________________
एस धम्मो सनंतनो
'इस मार्ग पर आरूढ़ होकर तुम दुखों का अंत कर दोगे । शल्य-समान दुख का निवारण करने वाला जानकर मैंने इस मार्ग का तुम्हें उपदेश किया है।'
बुद्ध कहते हैं, मैं कोई दर्शनशास्त्री नहीं हूं, मैं कोई दार्शनिक नहीं हूं, मैं तो एक हूं। मैंने यह मार्ग तुम्हें कहा है सिर्फ इसलिए कि इसके द्वारा तुम दुखों के निरोध को उपलब्ध हो जाओगे, तुम्हारी बीमारियां छूट जाएंगी, तुम स्वस्थ हो जाओगे ।
अक्खातो वे मया मग्गो ।
मैंने तो इसीलिए सिर्फ यह उपदेश दिया है अष्ट अंगों वाले मार्ग का, चार आर्य-सत्यों का, आंख वाले बुद्धत्व को पाने का, कि तुम दुख के पार हो जाओ ।
तुम्हेहिकिच्चं आतप्पं अंक्खातारो तथागता। पटिपन्ना पमोक्खंति झायिनो मारबंधना । ।
'और उद्योग तो तुम्हें ही करना है; तथागत का काम तो उपदेश करना है। इस मार्ग पर आरूढ़ होकर ध्यानपरायण पुरुष मार के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं।' यह बुद्ध की बड़ी प्रसिद्ध सूक्तियों में से एक है
-
तुम्हेहिकिच्चं आतप्पं।
चलना तो तुम्हें ही होगा, मैं तो सिर्फ इशारा कर सकता हूं। जाना तो तुम्हें ही होगा, मैं तो सिर्फ मार्ग की तरफ इंगित कर सकता हूं। बुद्धपुरुष तो केवल इशारा करते हैं। और तो क्या कर सकते हैं ! बुद्धपुरुष तुम्हें निर्वाण नहीं दे सकते, सिर्फ निर्वाण की तरफ इंगित कर सकते हैं, फिर चलना तुम्हें ही होगा। निर्वाण कोई किसी को दे नहीं सकता। यह तो स्वयं ही खोजना पड़ता है, यह तो आत्मखोज है।
तुम्हेहिकिच्चं आतप्पं।
तुम्हें चलना होगा। और तुम बाहर के मार्गों की बात कर रहे हो और तुम्हें चलना है भीतर के मार्ग पर। और तुम बाहर के सौंदर्य की चर्चा कर रहे हो और तुम्हें दर्शन करने हैं भीतर के सौंदर्य के । तुम मुझ पर भरोसा करके मत बैठो। मैं तुम्हें न
जा सकूंगा ।
152
अक्खातारो तथागता ।