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________________ जागरण ही ज्ञान जाता है, बुद्ध बन जाऊं। तो वह सोचता है, जैसे बुद्ध उठते, वैसे उठू; जैसे बुद्ध बैठते, वैसे बैलूं; जो बुद्ध पहनते, वैसा पहनूं; जो बुद्ध खाते, वैसा खाऊं; वह नकलची हो जाता है, वह अभिनेता हो जाता है। बुद्ध के बाहर के व्यवहार का अनुकरण करके तुम बुद्धत्व को न पाओगे। और जब तुम्हारे भीतर का बुद्ध जागेगा, तो तुम अपने ही ढंग से बैठोगे, अपने ही ढंग से उठोगे, बुद्ध से इसका कुछ लेना-देना नहीं होगा। प्रत्येक व्यक्ति अपनी परम अवस्था में अद्वितीय होता है। ___ मैंने सुना है, प्रसिद्ध झेन गुरु क्वान झान के जीवन की घटना है। एक विद्यार्थी उनके पास व्यक्तिगत मार्गदर्शन के लिए आया। क्वान झान ने उससे पूछा कि अब तक उसने ध्यान किस गुरु के पास सीखा है? विद्यार्थी ने जब कहा कि वह जाकू शिस्तू के अंतर्गत योगेन मठ में अध्ययन करता था, तो गुरु ने कहा, मुझे दिखाओ वह जो तुमने सीखा है। विद्यार्थी ने उत्तर में कहा, सिद्धासन पर अचल बैठना मैंने सीखा है। और जल्दी से उसने पालथी मारी, आंख बंद की और सिद्धासन पर बैठ गया शरीर को अडोल करके। क्वान झान तो खूब हंसा और उसने कहा-हट, बाहर निकल यहां से! मेरे मठ में पत्थर के बुद्ध बहुत हैं। और भीड़ बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। यह भी कोई बात सीखी? वह बिलकुल बुद्ध बनकर बैठ गया। ठीक सिद्धासन मार लिया, आंख बंद कर लीं, रीढ़ सीधी कर ली, आंख बंद करके अडोल हो गया। वह सोचा कि शायद यह कोई बड़ी उपलब्धि है। यह तो कोई उपलब्धि नहीं।. जब बुद्धत्व घटता है, तो बाहर के किसी कारण से नहीं घटता। और जब बुद्धत्व घटता है, तो बाहर दो व्यक्ति कभी एक से नहीं होते, दो बुद्ध कभी एक से नहीं होते। बुद्ध को पालथी मारे बुद्धत्व हुआ, महावीर जब बुद्ध बने तो अजीब हालत में बैठे थे—उकडूं बैठे थे। उकडूं कोई बैठता है बुद्ध बनने के लिए! गोदोहासन में बैठे थे। उकडूं शब्द न लिखना पड़े, क्योंकि उकडूं बड़ा अजीब सा लगता है कि क्या कर रहे थे, तो जैनों ने शब्द खोज लिया-गोदोहासन। वे उकडूं नहीं लिखते। क्योंकि उकडूं जरा अजीब सा लगता है कि यह महावीर कर क्या रहे थे उकडूं बैठकर! मल-मूत्र विसर्जन करने गए थे, क्या कर रहे थे? उकडूं काहे के लिए बैठे थे? तो उन्होंने बेचारों ने अच्छा शब्द खोज लिया है, अब यह उकडूं शब्द जंचता नहीं, तो गोदोहासन। जैसे गऊ को दुहते वक्त कोई बैठता है, ऐसे बैठे थे। अब गऊ दुह रहे थे? दुह तो लिया परमात्मा को उन्होंने उस क्षण में। ___कोई जानता नहीं, किस घड़ी, कैसी अवस्था में, उठते, बैठते कि चलते बुद्धत्व घटेगा। कोई आसन नहीं है जिसमें बुद्धत्व घटता हो। हां, बुद्धत्व घट जाए तो तुम्हारे सभी आसन भीतर की ज्योति से ज्योतिर्मय हो जाते हैं। तो नकल में नहीं पड़ना। नकल से बचना। नकल बड़ा खतरनाक द्वार है। और बहुत लोग उलझ जाते हैं। क्योंकि यह बात आसान दिखती है। बुद्ध जैसे कपड़े 109
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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