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________________ एस धम्मो सनंतनो तो फिर हमसे कुछ लेना-देना नहीं है । फिर बात खतम हो गयी । फिर दोस्ती समाप्त ! फिर यह पूजा-अर्चना जो तुम्हारी चलती है, बंद। और वह जो हम तुम्हारे भोजन-वस्त्र का इंतजाम करते हैं, वह खतम । । तो यह तो एक तरह की नौकरी - चाकरी हो गयी। इससे तो नौकर-चाकर भी भले । कम से कम जहां जाना हो, जा तो सकते हैं। इससे तो गृहस्थ बेहतर कि कम से कम भीड़-भाड़ इतना दबाव तो नहीं रखती, किसी को आना हो तो आ तो सकता है। नहीं, यहां नहीं आ पाते; चोरी से किताब पढ़ते हैं, चोरी से टेप सुनते हैं। मुझे खबर भिजवाते हैं कि इन सज्जन के हाथ भिजवा देना, हम सुन लेंगे एकांत में, लेकिन किसी को पता न चले। श्रावक को पसंद नहीं है। श्रावक कौन है? और श्रावक अगर तुम्हें चला रहा है, तुम्हारा सुनने वाला अगर तुम्हारा मालिक बन बैठा है, तो तुम उसे कैसे बदलोगे, थोड़ा सोचो तो! तुममें इतनी भी सामर्थ्य नहीं है कि तुम अपने ढंग से जी सको। तो तुम्हारे उन महात्माओं से तुम्हारे जीवन में कोई क्रांति न होगी, जो तुम्हारे अनुयायी हैं । उसको खोजना जहां बगावत हो, जहां जिंदगी अपनी मौज में हो, और जो अपने ढंग से जी रहा हो। तो शायद अड़चन तो बहुत होगी। ऐसे आदमी के पास हिम्मतवर लोग जाते हैं, भीड़-भाड़ नहीं जाती। ऐसे आदमी के पास तो वे ही लोग जाते हैं जिनको तलवार की धार पर चलने का शौक है, जिन्हें थोड़ा मजा है, जिन्हें जिंदगी में थोड़ा दुस्साहस है, जिनके जीवन में एक अभियान है और जो चाहते हैं कि जीवन की चुनौती स्वीकार की जाए। यहां मेरे पास तुम्हें भीड़-भाड़ न दिखायी पड़ेगी। भीड़-भाड़ यहां आ नहीं सकती। यहां तो केवल वे ही लोग आ सकते हैं जिन्होंने तय ही कर लिया है कि इस जिंदगी में कुछ करना ही है, इस जिंदगी में कुछ होना ही है। यह मौत इस बार आए तो हमें वैसा ही न पाए जैसा हर बार पहले पाया था। इस बार कुछ नया, कोई ज्योति हमारे भीतर जलती हुई हो । अमृत की थोड़ी एक बूंद ही सही, लेकिन इस बार जीवन से अमृत निचोड़ ही लेना है। तुम्हें हुआ, क्योंकि मैं अभी शास्त्र नहीं हूं। तुम धन्यभागी हो कि तुम शास्त्र के पास नहीं हो। 104 दूसरा प्रश्न : बुद्धत्व का क्या अर्थ है ? त्व का अर्थ ऐसे तो सीधा-साधा है । बुद्धत्व का अर्थ होता है, जागा हुआ
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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