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________________ एस धम्मो सनंतनो है, मूर्छा। जो जाग गया, वह अरिहंत। जो जाग गया, वही संत। फिर उसका क्या धर्म और क्या पंथ, इसका कुछ हिसाब रखने की जरूरत नहीं। जहां तुम्हें कोई अरिहंत मिल जाए, कोई संत मिल जाए, उसके पीछे चलो। _ 'जैसे चंद्रमा नक्षत्र-पथ का अनुसरण करता है, वैसे ही धीर, प्राज्ञ, बहुश्रुत, शीलवान, व्रतसंपन्न, आर्य तथा बुद्धिमान पुरुष का अनुगमन करना चाहिए।' जहां संत मिल जाएं, उनकी छाया में उठो-बैठो। जहां संत मिल जाएं, उनकी तरंगों में डूबो। उनका रस पीओ। उनकी धारा में बहो, स्रोतापन्न बनो।' ये छोटी-छोटी कथाएं और इन कथाओं के मध्य में आए छोटे-छोटे सूत्र तुम्हारे समग्र जीवन को रूपांतरित कर सकते हैं। लेकिन मात्र सुनने से नहीं, गुनो, करो। जैसे बुद्ध ने कहा न, कि भिक्षुओ, मैं आज से चार माह बाद परिनिवृत्त हो जाऊंगा, इसलिए जो करने योग्य है, करो। फिर बुद्ध चार माह रहें तुम्हारे साथ, कि चार साल रहें, कि चालीस साल, क्या फर्क पड़ता है। जो करने योग्य है, करो। सावधान! आज इतना ही। 30
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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