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________________ एस धम्मो सनंतनो जिनको मैंने कहा कि तीन दिन के लिए परमहंस हो जाओ और वे चुप होकर बैठ गए और उनकी बड़ी पूजा हुई और लोग आए और पैर छुए, वह मेरे साथ कई दफे यात्राओं पर जाते थे। उन्होंने मुझे कभी नहीं सुना। क्योंकि उनको सुनने की फुर्सत कहां! वह यह देख रहे कि लोगों में कौन सुन रहा है, कौन नहीं सुन रहा है। अगर लोग सुनते मालूम पड़ते तो वह बड़े प्रभावित होते। अगर लोग सुनते न मालूम पड़ते तो वह कहते कि आज क्या हुआ, लोग सुन नहीं रहे हैं! मैंने उनसे एक दिन पूछा कि तुम कब सुनोगे? अगर लोग प्रभावित होते तो वह प्रभावित होते, वह मेरी बात सुनकर प्रभावित नहीं होते। वह यही कहते कि लोग बिलकुल सकते में आ गए हैं, सुन रहे हैं, बिलकुल सुई भी गिर जाए तो सुनायी पड़ेगी। वह बड़े खुश होते। वह ऐसी जगह बैठते जहां से उनको सब दिखायी पड़ते रहें। ताकि वह देख लें कि सब सुन रहे हैं? वह दुनिया के कल्याण में बड़े उत्सुक थे। उनको अपनी कोई फिकर नहीं। मैंने उनसे कहा, तुम कब सुनोगे? कौन सुनता है, नहीं सुनता है, इससे क्या लेना-देना है। जहां तक मैं जानता हूं, तुमने सबसे ज्यादा मुझे सुना और सबसे कम सुना। वर्षों तुम मेरे साथ रहे, जगह-जगह तुम गए, मगर तुमने मुझे सुना नहीं है। तुम्हारी बेचैनी उन पर अटक गयी है-कोई सुन रहा है कि नहीं सुन रहा है? जैसे उनके सुन लेने से तुम्हें कुछ लाभ हो जाएगा। अब आनंद बुद्ध के निकटतम शिष्यों में था, लेकिन बुद्ध के मरने के बाद समाधि को उपलब्ध हुआ, जीते जी समाधि को उपलब्ध नहीं हुआ। अनेक शिष्य आए और समाधिस्थ हो गए, अर्हत्व को पा लिया, अरिहंत हो गए-पीछे आए। आनंद सबसे पहले आया था; वह बुद्ध का चचेरा भाई था। बयालीस साल बुद्ध के साथ छाया की तरह रहा, एक क्षण को साथ नहीं छोड़ा। रात उसी कमरे में सोता था, जहां बुद्ध सोते थे, दिनभर छाया की तरह लगा रहता था। जब उसने दीक्षा ली थी बुद्ध से तो उसने एक शर्त करवा ली थी, वह शर्त यह थी कि तुम मुझे कभी भी आज्ञा मत देना-वह बड़ा भाई था, चचेरा भाई था, तो दीक्षा के पहले उसने कहा कि सुनो, अभी तुम मेरे छोटे भाई हो, दीक्षा के बाद तो में शिष्य हो जाऊंगा, फिर तो तुम जो कहोगे मुझे करना ही पड़ेगा, इसलिए दीक्षा के पहले कुछ शर्ते रख लेता हूं, बड़े भाई के लिए इतना करो-एक, कि तुम मुझे कभी भी, किसी भी स्थिति में यह नहीं कह सकोगे कि आनंद, तू कहीं और जाकर विहर। मैं आपकी छाया की तरह लगा रहूंगा। दिन हो कि रात, मैं आपके साथ ही रहूंगा। यह एक वचन आप दे दें। दूसरा वचन कि मैं किसी को आधी रात भी ले आऊंगा कि इसकी कोई जिज्ञासा है, तो आपको हल करनी पड़ेगी। आप ऐसा नहीं कह सकेंगे कि अभी मैं सो रहा हूं। ऐसी उसने शर्ते ले ली थीं। __तो वह बयालीस साल छाया की तरह बुद्ध के साथ रहा, लेकिन ज्ञान को उपलब्ध नहीं हुआ। तो बुद्ध ठीक ही कहते हैं कि दूसरे का दोष देखना आसान। 350
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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