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एस धम्मो सनंतनो
को पता चल जाए कि राजा अधार्मिक है, तो राजा का सम्मान कम हो जाता था। तो गया होगा। जाना पड़ा होगा।
लेकिन जाने के पहले-इतनी देर, बुद्ध को पता नहीं घंटाभर सुनना पड़े, डेढ़ घंटा सुनना पड़े, कितनी देर बुद्ध बोलें, इतनी देर वहां रहना पड़े तो उसने डटकर भोजन कर लिया।
इतनी देर भोजन करने को मिलेगा नहीं। खूब डटकर भोजन करके गया।
राजा था, तो सामने ही बैठा बुद्ध के वचन सुनने को। और जैसे ही बैठा वैसे ही झपकी लेने लगा।
फुरसत कहां थी! न बुद्ध को सुनने आया था, न सुनने की स्थिति थी। इतना खाकर आ गया था कि डोलने लगा। और तो मस्ती में डोल रहे थे, वह नींद में डोलने लगा।
बुद्ध ने यह देखा। उन्हें उस पर बड़ी दया आयी। उसकी झपकियां देखीं और बुद्ध ने कहा, महाराज, क्या ऐसे ही जीवन गंवा देना है? जागना नहीं है? बहुत गयी, थोड़ी बची है, अब होश सम्हालो। भोजन जीवन नहीं है। इस परम अवसर को ऐसे ही मत गंवा दो। प्रसेनजित ने कहा, भंते, सब दोष भोजन का है, मानता हूं। उसके कारण ही मेरा स्वास्थ्य भी सदा खराब रहता है। तंद्रा भी बनी रहती है। प्रमाद और आलस्य भी घेरे रहता है। और इसके बाहर होने का कोई मार्ग भी नहीं दिखायी पड़ता। सब दोष भोजन का है, भगवान!
बुद्ध ने उससे कहा, पागल! दोष भोजन का कैसे हो सकता है? अपने दोष को भोजन पर टाल रहा है! भोजन जबरदस्ती तो तेरे ऊपर सवार नहीं हो जाता।
इसे खयाल रखना। हम भी यही करते हैं। हम दोष टालते हैं।
मुल्ला नसरुद्दीन पकड़ा गया अदालत में, क्योंकि उसने एक कांस्टेबिल की पिटाई कर दी। और जब झूमता, नशे में डोलता अदालत में लाया गया, तो मजिस्ट्रेट ने कहा कि नसरुद्दीन, कितनी बार तुम्हें समझाया है, यह शराब छोड़ो। उसने कहा, हुजूर, सब दोष शराब का है, इसी शराब की वजह से यह गरीब कांस्टेबिल पिट गया है। सब दोष शराब का है! आप बिलकुल ठीक कहते हैं।
दोष शराब का कैसे हो सकता है? लेकिन हम दोष टालते हैं। कोई आदमी दोष अपने पर नहीं लेता। और जो अपने पर ले लेता है, उसी के जीवन में क्रांति घट जाती है। ___उसने बुद्ध से कहा, भगवान, भंते, सब दोष भोजन का है। इसके कारण ही सब उलझन हो रही है। इससे बाहर आने का कोई उपाय भी नहीं दिखता है।। ___ बुद्ध ने कहा, दोष भोजन का कैसे हो सकता है? दोष बोध का है। तुम्हें पता भी है कि स्वास्थ्य खराब हो रहा है, तुम्हें पता है आलस्य आ रहा है, तुम्हें पता है जीवन व्यर्थ जा रहा है, लेकिन यह बोध तुम भोजन करते वक्त सम्हाल नहीं पाते।
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