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________________ ध्यान की खेती संतोष की भूमि में कोई दुतकारे तो हम कैसा भाव रखें ? और कोई हमें तो दान न दे और दूसरों को दान दे, तो हम कैसा भाव रखें? उस दिन उसने भगवान को भगवान कहकर भी संबोधित नहीं किया। मनुष्य की श्रद्धाएं भी कितनी छिछली हैं! इस पृष्ठभूमि में भगवान ने आज की पहली दो गाथाएं कहीं । 'लोग अपनी श्रद्धा-भक्ति के अनुसार देते हैं। जो दूसरों के खान-पान को देखकर सहन नहीं कर सकता, वह दिन या रात कभी भी समाधि को प्राप्त नहीं कर पाएगा।' ‘जिसकी ऐसी मनोवृत्ति उच्छिन्न हो गयी है, समूल नष्ट हो गयी है, वही दिन या रात कभी भी समाधि को प्राप्त करता है।' ददाति वे यथासद्धं यथापसादनं जनो । तत्थ यो मङ्कु भवति परेसं पानभोजने। न सो दिवा वा रत्तिं वा समाधिं अधिगच्छति ।। यस्स च तं समुच्छिन्नं मूलघच्वं समूहतं। सवे दिवा वा रत्तिं वा समाधिं अधिगच्छति ।। पहले तो इस पृष्ठभूमि का ठीक-ठीक विश्लेषण समझें । कथा छोटी, सीधीसादी है, पर अत्यंत मनोवैज्ञानिक है। भगवान के पास एक युवक ने दीक्षा ली। और कथा कहती है कि शायद इसीलिए दीक्षा ली कि वह युवक अत्यंत अहंकारी था। यह बात पहले समझ लेने जैसी है। लोग धन भी जोड़ते अहंकार के लिए और त्याग भी करते अहंकार के लिए। पहले अकड़कर चलते हैं कि कितना उनके पास है, फिर अकड़कर चलते हैं कि कितना उन्होंने छोड़ दिया। जितना उनके पास है, उसे भी बहुत-बहुत गुना करके बतलाते हैं। जो छोड़ा है, उसे भी बहुत - बहुत गुना करके बतलाते हैं। लेकिन हर हालत में आदमी अपने अहंकार को ही भजता है । मैं कुछ विशिष्ट हूं; मैं कुछ अनूठा हूं, अद्वितीय हूं; मैं कुछ अलग हूं, औरों जैसा नहीं हूं, मैं असाधारण हूं, सामान्य नहीं; इसी चेष्टा में आदमी लगा रहता है। कभी धन कमाकर, कभी बड़ी दुकान चलाकर, कभी किसी बड़े पद पर प्रतिष्ठित होकर, कभी सबको लात मारकर, लेकिन सबके पीछे मूल आधार एक ही है कि मैं कोई साधारण आदमी नहीं । आदमी साधारण से बड़ा डरता है । सोचो, यह भाव ही कि मैं साधारण हूं, छाती पर पत्थर जैसा रख जाता है। यह खयाल ही कि मैं असाधारण हूं, विशिष्ट हूं, कुछ अनूठा हूं, और तुम्हें पंख लग जाते हैं। लेकिन अगर तुम असाधारण हो, तो सभी कुछ असाधारण है । पत्ते, फूल, 327
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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