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________________ सत्य सहज आविर्भाव है हो कि ये जो लोग कर रहे हैं, ये सब पागल हैं। इसमें तो कुछ अड़चन नहीं है। यह तो बड़ी सरलता से कह सकते हो, इसमें तो कुछ खर्च भी नहीं लगता। न रंग लगे न फिटकरी। कुछ लगता ही नहीं। यह तो मजे से कह दो, इसे कहने में क्या अड़चन है! अधिक लोग इसीलिए जीवन में बांझ रह जाते हैं, उनके जीवन में कोई सृजन नहीं हो पाता। क्योंकि उनकी ऊर्जा व्यर्थ की बातों की दिशा में संलग्न हो जाती है। विध्वंस सरल, सृजन कठिन है। कुछ बनाओ, तो जीवन में उल्लास होगा, तो जीवन में उत्सव होगा। यह लालूदाई ने बनाया तो कुछ भी नहीं है, सारिपुत्र को देखकर जलता है, मौदगल्लायन को देखकर जलता है। जिन्होंने कुछ बनाया है, उनसे जलता है और खुद कुछ बनाया नहीं। ___ दो बातों का फर्क समझना। दुनिया में दो तरह के लोग हैं। पहले तरह के लोग, जिनकी संख्या बहुत है, वे अपने को तो बड़ा नहीं करते, दूसरे को छोटा करने की कोशिश में लगे रहते हैं। वे सोचते हैं, जब दूसरा छोटा हो जाएगा तो तुलना में हम बड़े मालूम पड़ने लगेंगे। तर्क तो एक अर्थ में ठीक ही है। ___ तुमने अकबर की कहानी सुनी है, उसने एक लकीर खींच दी आकर दरबार में, और अपने दरबारियों से कहा, इसे छूना मत और इसे छोटा कर दो। तो उन दरबारियों को बड़ी मुश्किल हुई, उन्होंने बहुत सोचा, सिर-माथा पटका, लेकिन कुछ रास्ता न मिला। फिर बीरबल उठा, उसने एक बड़ी लकीर उस लकीर के नीचे खींच दी, वह छोटी हो गयी। अब इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया में बड़े होने के दो उपाय हैं। एक उपाय कि तुम दूसरे को छोटा कर दो, तो उसकी तुलना में तुम बड़े दिखायी पड़ने लगो। अधिक लोग यही उपाय करते हैं, यह सस्ता उपाय है, यह कहीं ले जाता नहीं। इसीलिए तुम किसी की प्रशंसा नहीं सुन पाते हो। कोई कहे कि फलां आदमी बड़ी अच्छी बांसुरी बजाता है, तुम कहते हो, क्या खाक बांसुरी बजाएगा! उसको मैं जानता हूं, अरे, पर-स्त्रीगामी है! 'अब पर-स्त्रीगामी से बांसुरी बजाने में कौन सी अड़चन पड़ती है! कि चोर, वह क्या बांसुरी बजाएगा! अब चोरी से बांसुरी बजाने में कौन सी बाधा पड़ती है! चोर भी बांसुरी बजा सकता है, इसमें असंगति क्या है? तुम्हें कोई, तुमने खयाल किया है कि जब कोई किसी की प्रशंसा करता है तो तुम्हारे मन में एकदम खुजलाहट होती है-खंडन कर दो। कि अरे, देख लिए सब महात्मा! सब पाखंड है! कितने महात्मा देखे तुमने? देख लिए सब महात्मा! तुम यह मान ही नहीं सकते कि कोई तुमसे बेहतर हालत में हो सकता है। क्योंकि अगर कोई तुमसे बेहतर हालत में है, तो फिर तुम्हें कुछ करना पड़ेगा। फिर तुम्हें उठना पड़ेगा, तुम्हें अपने को बदलना पड़ेगा, रूपांतरण करना होगा। तो दुनिया में अधिक लोग बांझ मर जाते हैं, उनके जीवन में कुछ पैदा नहीं होता, 283
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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