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जितनी कामना, उतनी मृत्यु
ने तो एक बार गिरा दिया, यह कोई रोज-रोज तो गिराने वाली नहीं है मांस। इसलिए उन्होंने कहा कि ठीक है, जो पात्र में आ जाए वह ले लेना।
इस छोटी सी घटना के कारण सारे बौद्ध मांसाहारी हो गए। शाकाहार खो ही गया। चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत, बर्मा, सब मांसाहारी हो गए। सब बौद्ध मुल्क मांसाहारी हैं, इस छोटी सी घटना के कारण। यह चील ने सारा उपद्रव कर दिया। करोड़ों लोग मांसाहारी हो गए इस एक चील की तरकीब से। अब वे कहते हैं, जो पात्र में पड़ जाए। और उनके श्रावक जानते हैं कि लोग मांसाहार पसंद करते हैं तो पात्र में मांसाहार डालने लगे। उसके पहले तक नहीं डाला था उन्होंने।
बुद्ध ने कहा है, कोई किसी को मारकर न खाए। सोचा भी नहीं होगा कि कोई कानूनी आदमी इसमें से तरकीब निकाल लेगा। किसी जानवर को मारकर न खाए। तो चीन और जापान में तुम्हें ऐसी तख्तियां लगी मिलेंगी दुकानों के सामने कि यहां अपने आप मरे जानवर का मांस बेचा जाता है। इसके लिए तो बुद्ध ने मना किया भी नहीं है। उन्होंने कहा था, कोई मारकर न खाए। तरकीब निकाल ली। - अब इतने जानवर अपने आप मर भी नहीं रहे हैं। हजारों गाएं काटी जा रही हैं। कटकर मांस आता है, होटल वाला तख्ती लटकाए बैठा है। बस, मजे से तुम कर सकते हो, क्योंकि साफ लिखा है। .. ___ तुम भी जानते हो, सारी दुनिया जानती है कि वह सब मांस कटकर आ रहा है, लेकिन इससे तुम्हें क्या मतलब! लेने वाला कहता है, यह होटल वाला जाने। अगर वह कोई पाप कर रहा है, झूठ बोल रहा है, तो वह जाने। होटल वाला सोचता है, सारी दुनिया जानती है कि इतने जानवर रोज कहां से मरेंगे, जानकर तुम ले रहे हो, तुम समझो। तख्ती तो ऐसे ही है जैसे हमारे मुल्क में तख्ती लगी रहती है, यहां शुद्ध घी बिकता है। सभी जानते हैं कि जहां-जहां शुद्ध घी लिखा है, वहां-वहां क्या बिकता है। इसमें किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। जब शुद्ध घी बिकता था तो किसी जगह तख्ती लगी ही नहीं होती थी कि शुद्ध घी बिकता है।,घी बिकता है, इतना ही काफी था, शुद्ध क्यों लगाना? घी यानी शुद्ध होता है। शुद्ध घी बिकता है, उसका मतलब ही यह है कि अशुद्ध का भाव प्रवेश कर गया है।
तिष्य को कुछ बड़ी चीज नहीं थी, एक छोटी सी चादर थी, मगर चादर ने बेचैन कर दिया। खूब अहंकार उठने लगा मन में उसको। और रात अंधेरा हो गया है इसलिए अब तो पहनने का मौका नहीं है, कल सुबह, सूरज के ऊगते ही, नहा-धोकर पहनकर निकलूंगा संघ में, देखेंगे भिक्षु, ईर्ष्या से ठगे रह जाएंगे, खड़े रह जाएंगे। भगवान के पास भी ऐसी चादर नहीं है, जैसी मेरे पास है। लेकिन संयोग की बात, न तो रात सो सका, चिंता के कारण सपने देखे और उसी रात मर भी गया।
खयाल करना, जब भी तुम मरोगे तो जो तुम्हारी अंतिम वासना होगी, वही तुम्हारे नए जन्म का सूत्रपात होती है। इसलिए मरते वक्त अगर वासना के सहित
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