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एस धम्मो सनंतनो
के पेट में वह अपने शरीर के तापमान वाले गरम पानी में ही तैरता है। उसे गरम पानी में लिटाते हैं। ताकि बाहर आकर वह जगत को प्रीतिकर पाए। ऐसा पाए कि उसमें निश्चित हो सके, विश्रांति को पा सके।
ये जो पहले क्षण हैं, अगर सुखद हों तो यह बच्चा सुखी होगा। सुखी होगा इस अर्थ में, इसका दृष्टिकोण सुख का होगा। अगर पहली ही चोटें ऐसी पड़ गयीं तो इस बच्चे के मन में पहले ही घाव बन गए। अब यह डरा हुआ जीएगा। यह मानकर ही चलेगा कि दुश्मन हैं यहां चारों तरफ, मित्र कोई भी नहीं है। इसका दृष्टिकोण विषाक्त हो गया। इस घड़ी को वैज्ञानिक कहते हैं, ट्रामेटिक। इस समय जो पैदा हो जाता है, उसका संस्कार पूरे जीवन पीछा करेगा।
फिर दूसरी घड़ी आती है जब तुम्हारा विवाह होता है। तब फिर तुम्हारे जीवन में एक नया सूत्रपात हो रहा है। अब तक तुम अकेले थे, अब तक तुम आधे थे, अब तुम एक स्त्री से जुड़े या एक पुरुष से जुड़े, अब तुम पूरे हुए। तुम्हारी चाहत, तुम्हारा प्रेम, तुम्हारी वासना अब एक नयी यात्रा पर निकल रही है। अब तक का जीवन एक ढंग का था, अब जीवन एक दूसरे ढंग का होगा।
ये घड़ियां भी बड़ी महत्वपूर्ण हैं। इन घड़ियों को भी हम व्यर्थ गंवा देते हैं। इन घड़ियों में भी जो हम करते हैं, वह सब थोथा है। दूल्हे को घोड़े पर चढ़ा दिया है, बैंड-बाजे बजा रहे हैं। बचकाना है। इस बचकानी प्रवृत्ति से बाहर निकालने की जरूरत है। ये घड़ियां अति बहुमूल्य हैं। ये घड़ियां अत्यंत शांत हो गए पुरुषों के निकट बीतनी चाहिए। वातावरण संगीतमय हो। लेकिन धूम-धड़ाक से भरा हुआ फिल्मी संगीत ठीक नहीं। यह वातावरण संगीतमय हो, वीणा बजे, बांसुरी बजे, शहनाई बजे, पर यह संगीत ऐसा हो जो इन घड़ियों को मनुष्य के भीतर सदा के लिए प्रीतिकर बनाकर बिठा दे।
तो बुद्ध ने तो तोड़ दी पुरानी परंपरा। उन्होंने कहा कि संन्यासी आ सकता है। वे स्वयं जाते थे। अगर विवाह हो और निमंत्रित किए जाएं तो वे जाते थे। न केवल अकेले, बल्कि अपने हजारों भिक्षुओं को लेकर। ताकि वहां का सारा वातावरण बदल दें। जहां हजारों भिक्षु आ गए हों, वहां की हवा बदल जाएगी। जहां बुद्ध मौजूद हों, वहां की हवा बदल जाएगी। वहां दूल्हा और दुल्हन तो गौण हो जाएंगे। वहां बुद्ध की मौजूदगी प्रगाढ़ हो जाएगी। वह प्रकाश-स्तंभ इन छोटी सी घड़ियों का, इन बहुमूल्य घड़ियों का उपयोग कर लेगा। वह छाप गहरी पड़ जाएगी। और यह याद मन में बैठ जाएगी कि विवाह ही जीवन का अंत नहीं है। जाओ, लेकिन एक दिन इसके बाहर आना होगा। जाओ जरूर, लेकिन अनुभव से एक दिन पकोगे और इसके बाहर भी आओगे। क्योंकि लोग हैं जो बाहर आ गए हैं। बुद्ध हैं। यह बुद्ध की शांति और यह बुद्ध का आनंद भी याद रह जाएगा। ___ यह सुगंध पीछा करेगी। कितने ही सपनों में खोए होओ, यह सुगंध कभी-कभी