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सुख या दुख तुम्हारा ही निर्णय
पहला प्रश्न:
- क्या मेरी नियति में सिर्फ विषाद की, फ्रस्ट्रेशन की एक लंबी श्रृंखला लिखी है?
तुम्हारे हाथ में है। लिखते जाओगे, तो लिखी रहेगी। विषाद कोई और तुम्हें
-नहीं दे रहा है, तुम्हारा चुनाव है। तुमने चुना है। आनंद भी कोई और नहीं देगा। तुम चुनोगे, तो मिलेगा। तुम जो खोज लेते हो, वही तुम्हारा भाग्य है।
थोड़ा समझें। ___ भाग्य की पुरानी धारणा कहती है, लिखा हुआ है और किसी और ने लिखा है, तुमने नहीं। मैं तुमसे कहना चाहता हूं, भाग्य लिखा हुआ नहीं है, रोज-रोज लिखना पड़ता है। और किसी और के द्वारा नहीं, तुम्हारे ही हाथों से लिखा जाता है। यह हो सकता है कि तुम इतनी बेहोशी में लिखते हो कि अपने ही हाथ पराए मालूम होते हैं। यह हो सकता है, तुम इतनी अचेतन अवस्था में लिखते हो कि लिख जाते हो तभी पता चलता है कि कुछ लिख गया। तुम अपने को रंगे हाथ नहीं पकड़ पाते। तुम्हारे होश की कमी है। लेकिन कोई और तुम्हारा भाग्य नहीं लिखता है।
अगर कोई और तुम्हारा भाग्य लिखता है, तो सब धर्म व्यर्थ। फिर तुम क्या
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