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परमात्मा अपनी ओर आने का ही ढंग
परिस्थिति तो बहुत बार आती है, लेकिन मनःस्थिति नहीं है। चूक-चूक जाते हो। अवसर तो बहुत मिलता है, खो-खो देते हो। मौसम तो बहुत बार आता है, लेकिन तुम बीज बोते ही नहीं; फिर. फसल काटने का वक्त आता है तब तुम रोते बैठे रहते हो। अब जब अवसर आए, चूकना मत। बुरे से बुरा अवसर भी परमात्मा को पाने का ही अवसर है। अशुभ से अशुभ घड़ी भी उसी की तरफ जाने की सीढ़ी है। अंधकार से अंधकार क्षण भी प्रकाश की ही खोज पर एक पड़ाव है।
और जरा गौर से देखो, तुमने अब तक कमाया क्या है? गंवाया हो भला, कमाया तो कुछ भी नहीं दिखायी पड़ता। कुछ थोथे शब्द इकट्ठे कर लिए होंगे, जिनका कोई भी मूल्य नहीं है। जिनको तुम कचराघर में भी फेंकने जाओगे तो कचराघर भी प्रसन्न न होगा। क्या है तुम्हारे पास संपदा के नाम पर? क्योंकि संपदा तो सिर्फ एक है, संबोधि। संपदा तो एक है, जागरण। कितनी गंदगी तुमने इकट्ठी कर ली है! और तुम किए ही चले जाते हो। शायद तुम आदी हो गए हो। आदत का खयाल करो।
___ मैंने सुना है, एक आदमी एक तोपखाने पर रात पहरा देता था। और रात हर घंटे तोप, एक तोप छूटती थी। तीस साल तक उसने पहरा दिया। वह मजे से रातभर सोया रहता था। हर घंटे तोप छूटती, और वह सोया रहता। लेकिन तीस साल बीतने के बाद इकतीसवें साल एक दिन तोप खराब हो गयी और दो बजे रात तोप न छूटी। वह एकदम चौंककर उठ बैठा। उसने कहा, क्या मामला है?
तीस साल तक तोप न जगा सकी उसे, एक दिन तोप न चली तो नींद टूट गयी। आदत! तुम्हारी दुर्गंध भी तुम्हें पता नहीं चलती। दूसरों को पता चले तो शिष्टाचारवश वे तुमसे कह नहीं सकते। कहें तो तुम नाराज होते हो, झगड़ा-झांसा खड़ा करते हो। और वे भी कहें कैसे, क्योंकि उनकी भी दुर्गंध है। उन्हें भी छिपानी है। तो सब एक-दूसरे की छिपाए रहते हैं। __शिष्टाचार का अर्थ है, एक-दूसरे की दुर्गंध को छिपाए चलो। न हम तुम्हारी कहें, न तुम हमारी कहो। एक पारस्परिक समझौता है। हम तुम्हारे सौंदर्य का गुणगान करें, तुम हमारे सौंदर्य का गुणगान करो। हम तुम्हारी महिमा के गीत गाएं, तुम हमारी महिमा के गीत गाओ। फिर सब भला ही भला है।
जरा खयाल करना, इस धोखे में मत पड़े रहना! अपने पर तुम्हें ध्यान करना होगा। अपनी दुर्गधे खोजनी होंगी। कहां-कहां तुमने घाव और मवाद पैदा कर लिए हैं, उनका ठीक-ठीक स्मरण करना होगा। तो ही इलाज हो सकता है, तो ही औषधि खोजी जा सकती है, तो ही चिकित्सा का कोई उपाय है।
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो
ये कंवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं तुम कुम्हलाए जा रहे हो।
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो